लंदन । दुरूह जीवन वाले बर्फीले अंटार्कटिका के हिमखंडों के नीचे करीब एक किलोमीटर की गहराई में विचित्र प्रकार के जीवों की खोज हुई है। ये जीव माइनस तामपान में बिल्कुल अंधेरे में रहते हैं। इनके बारे में इससे पहले इंसानों को कोई जानकारी नहीं थी। इन्हें खोजने के लिए साइंटिस्ट्स ने अंटार्कटिका में मौजूद फिलच्नर-रॉने आइस सेल्फ में 900 मीटर की ड्रिलिंग की। इसके बाद जब उन्होंने इस छेद से कैमरा अंदर डाला तो वो अंदर का नजारा देख हैरान रह गए। इन जीवों की खोज के बारे में फ्रंटियर्स इन मरीन साइंस नामक जर्नल में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। जिसमें बताया गया है कि अंटार्कटिका के दक्षिण-पूर्वी वेड्डेल सागर में मौजूद फिलच्नर-रॉने आइस सेल्फ की नीचे ये जीव मिले हैं। ये आइस सेल्फ खुले समुद्र से 260 किलोमीटर दूर है। इस आइस सेल्फ की मोटाई करीब 900 मीटर है।
इससे पहले इस तरह के जीवों की खोज कभी नहीं हुई। रिपोर्ट में बताया गया है कि ये जीव समुद्री बर्फीले पत्थरों पर चिपके रहते हैं। फिलहाल ये नहीं पता चला है कि ये किस तरह के जीव हैं। लेकिन कहा जा रहा है कि ये स्पॉन्ज है। या फिर ऐसे कोई जीव जिनके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। न ही ये दुनिया के किसी किताब में बताए गए हैं। ये जीव फिलच्नर-रॉने आइस सेल्फ घनघोर अंधेरे में रहते हैं। यहां का तापमान माइनस 2.2 डिग्री सेल्सियस है। इस तरह की परिस्थितियों में रहने वाले जीव अभी तक नहीं खोजे गए थे। ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे के बायोजियोग्राफर और इन जीवों को खोजने वाले प्रमुख खोजकर्ता डॉ. हव ग्रिफिथ कहते हैं कि ऐसे जीव पहले कभी नहीं देखे गए। ये सर्द, अंधेरी और बर्फ से जमी हुई दुनिया में जीने के हिसाब से खुद को बदल चुके हैं। इनमें इस स्थिति में रहने की क्षमता है।
डॉ. ग्रिफिथ कहते हैं कि इन्हें खोजने के बाद हमारे मन कई तरह के सवाल आए। ये जीव खाते क्या हैं? ये यहां तक कैसे पहुंचे? ये जीव कितने समय से इस बर्फीली दुनिया में हैं? क्या ये नई प्रजाति के जीव हैं या फिर जो हम बाहर की बर्फीली दुनिया के ऊपर देखते हैं वहीं हैं? डॉ. ग्रिफिथ कहते हैं कि दक्षिणी सागरों में तैरने वाले समुद्री हिमखंडों के नीचे की दुनिया अब भी ज्यादा खोजी नहीं गई है। ऐसे हिमखंड अंटार्कटिका महाद्वीप का 15 लाख वर्ग किलोमीटर का इलाका घेरते हैं। लेकिन अभी तक इंसानों ने सिर्फ टेनिस कोर्ट के क्षेत्रफल जितने इलाके में ही खोजबीन की है। अभी तक इस तरह की विषम परिस्थितियों में रहने वाले जो जीव मिले हैं, उनमें छोटे शिकारी कीड़े, मछलियां, जेलीफिश या क्रिल शामिल हैं। लेकिन पहली बार कोई फिल्टर फीडिंग जीव मिला है। यानी जो पानी में आने वाले बेहद छोटे जीवों को खाकर जिंदा रहता हो। ये अपने शरीर से पानी को फिल्टर करके जीवों को खा जाते हैं।
डॉ. ग्रिफिथ के साथी डॉ. जेम्स स्मिथ बताते हैं कि हम तो ड्रिलिंग करके समुद्र के नीचे के सेडिमेंट यानी मिट्टी उठाने के प्रयास में थे। लेकिन जब कैमरा बर्फ की चादर के नीचे पहुंचा तो हैरान कर देने वाला नजारा सामने आया। वहां बर्फीले पत्थरों पर चिपके हुए जीव थे। हमने ऐसे जीव पहले कभी नहीं देखे थे। साइंटिस्ट हैरान थे कि ये जीव सबसे नजदीकी फोटोसिंथेसिस वाले इलाके से 1500 किलोमीटर दूर हैं। इसके बाद भी जीवित हैं।
एक हैरानी की बात ये भी है कि कई जीव ग्लेशियर के पिघलने, केमिकल और मीथेन से अपना न्यूट्रिएंट पूरा करते हैं। लेकिन इस जीव के खान-पान के बारे में पुख्ता कुछ भी नहीं पता। इसलिए अब डॉ. ग्रिफिथ इनमें से कुछ जीवों को ऊपर लेकर आएंगे। फिर जहाज पर बनी प्रयोगशाला में ले जाकर इनका अध्ययन किया जाएगा। डॉ. ग्रिफिथ ने कहा कि हमारे पास ऐसे जीवों को सही सलामत ऊपर लाने के लिए अत्याधुनिक उपकरण हैं। यंत्र हैं। एक बार ये हमारे हाथ लग गए तो हम इनका अध्ययन करके यह पता कर पाएंगे कि ये क्या खाते हैं। कहां से आए हैं। कब से इस इलाके में रह रहे हैं।