यह निर्देश केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को नई दिल्ली में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की उपस्थिति में राज्य में तीन नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन पर समीक्षा बैठक में दिए।
मध्य प्रदेश में अब तक किए गए कार्यों की सराहना करते हुए गृह मंत्री शाह ने शीघ्र नए कानूनों को राज्य में शत प्रतिशत लागू करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश ई-समन के मामले में अग्रणी है, इसलिए राज्य सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि दूसरे राज्यों के अधिकारी मध्य प्रदेश का दौरा करके ई-समन के सफल क्रियान्वयन के बारे में समझ सकें।
मुख्यमंत्री हर माह समीक्षा करें
शाह ने कहा कि गरीबों का केस सही तरीके से लड़ना सरकार की जिम्मेदारी है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को महीने में एक बार, मुख्य सचिव को हर 15 दिन और पुलिस महानिदेशक को सप्ताह में एक बार सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ तीन नए कानूनों के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा करनी चाहिए।
इधर, मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि आगामी दो वर्षों में पुलिस बल में फोरेंसिक साइंस के विशेषज्ञों की भर्ती और ट्रेनिंग का काम चरणबद्ध रूप से पूरा करने का लक्ष्य है। बैठक में मध्य प्रदेश में पुलिस, जेल, कोर्ट, अभियोजन और फोरेंसिक से संबंधित विभिन्न नए प्रविधानों के कार्यान्वयन और वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई। इस दौरान प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन और पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना भी उपस्थित थे।
डॉ. यादव ने शुक्रवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव नई दिल्ली में सौजन्य भेंट की।
अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद और संगठित अपराध से जुड़ी धाराओं में केस दर्ज करने से पहले पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मामले का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। निरंतर निगरानी होनी चाहिए कि कितने जीरो एफआईआर नियमित एफआइआर में बदले गए।
पुलिस को पूछताछ के लिए हिरासत में रखे गए लोगों की जानकारी इलेक्ट्रानिक डैशबोर्ड पर प्रदान करनी चाहिए, साथ ही जब्ती सूची और अदालतों में भेजे जाने वाले मामलों की जानकारी भी डैशबोर्ड पर रखनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में नए कानूनी प्रविधानों के अंतर्गत आधुनिक संसाधनों के प्रयोग से इलेक्ट्रानिक साक्ष्य के आधार पर प्रकरणों का शीघ्र निराकरण किया जा रहा है। इसके द्वारा न्याय प्रक्रिया आसान हुई है, पुलिस का समय बच रहा है और चिकित्सकों की असुविधा कम हुई है।