मेलबर्न । ऑस्ट्रेलिया के दूसरा सबसे अधिक आबादी वाले राज्य विक्टोरिया की मेलबर्न में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखने के बाद 7 दिनों से सख्त लॉकडाउन लगा दिया है। हालांकि इस शहर में अभी तक कोविड-19 के मात्र 26 केस ही हैं। शहर में करीब 50 लाख लोग रहते हैं, जिनके बाहर निकलने और एक दूसरे पर मिलने पर रोक लगा दी गई है। इसके बाद सवाल उठाए जा रहे हैं कि इतनी बड़ी आबादी में केवल 26 केस पाए जाने के बाद लॉकडाउन लगाना क्या उचित फैसला है? इसके जवाब में मेलबर्न के प्रशासन का कहना है कि होटल क्वारंटीन के दौरान नियमों का उल्लंघन किया गया है। इसकारण कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं। इतना ही नहीं पॉजिटिव लोगों के अंदर कोविड का अति संक्रामक स्ट्रेन बी1617 मिला है। इसके अलावा विक्टोरिया राज्य में कोरोना वैक्सीनेशन का स्पीड भी काफी धीमी है। इसकारण प्रशासन द्वारा रिस्क न लेते हुए तत्काल लोगों की आवाजाही को बंद किया गया है।
विक्टोरिया के कार्यवाहक स्टेट प्रीमियर जेम्स मर्लिनो ने कहा कि हम वायरस के अत्यधिक संक्रामक स्ट्रेन से निपट रहे हैं। इस स्ट्रेन के कारण मेलबर्न में कोरोना के मामले तेजी से बढ़े हैं। वायरस के संक्रमण की स्पीड पहले की तुलना में काफी ज्यादा है। इस स्ट्रेन ने भारत में तबाही मचा दी है। माना जाता है कि यह वायरस विदेश से ऑस्ट्रेलिया वापस लौटे एक यात्री के जरिए फैला है। लॉकडाउन के आदेश के बाद गुरुवार रात से मेलबर्न में स्कूल, पब और रेस्टोरेंट्स को बंद कर दिया गया। लोगों के एक जगह पर इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके अलावा लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। नए स्ट्रेन के मिलने के बाद न्यूजीलैंड ने विक्टोरिया से आने वाली फ्लाइट्स पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं, ऑस्ट्रेलिया के दूसरे राज्यों ने भी विक्टोरिया से आने वाले लोगों की निगरानी बढ़ा दी है। विक्टोरिया के प्रीमियर ने राज्य में धीमे वैक्सीनेशन के लिए प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के नेतृत्व वाले कंजरवेटिव केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताया है।