बालाघाट। कोरोना संकट के दौरान लाकडाउन में बड़ी संख्या में अन्य राज्यों एवं शहरों में काम कर रहे मजदूरों को वापस अपने गांव आना पड़ा है। गांव वापस आने वाले मजदूरों के लिए नया काम ढूंढना बहुत ही मुश्किल था। लेकिन ऐसे में मनरेगा योजना प्रवासी मजदूरों के लिए बड़ा सहारा बन कर सामने आयी है। नागपुर से वापस लौटा मजदूर संतोष डोरस लाकडाउन के दौरान मनरेगा में काम मिलने से बहुत खुश है।
लालबर्रा तहसील के ग्राम बोट्टा-हजारी के निवासी संतोष डोरस ने बताया कि वह कुछ वर्षों से नागपुर में मजदूरी का कार्य कर रहा था। गांव में रोजगार के साधन नहीं मिलने पर पर कमाने के लिए नागपुर चला गया था। नागपुर में वह कुली मजदूरी का कार्य कर रहा था । कोरोना संकट के दौरान अचानक लॉकडाउन होने की वजह से उसे भी घर वापस आना पड़ा है। गांव वापस आने पर उसके पास कामने का कोई जरिया नहीं था। उसका जाबकार्ड भी निरस्त हो गया था। संतोष ने बताया कि उसके द्वारा पंचायत में काम दिलाने के लिए आवेदन दिया गया था। पंचायत द्वारा उसे नया जाबकार्ड बनाकर दिया गया है और उसे मनरेगा से कराये जा रहे तालाब गहरीकरण कार्य में काम मिल गया।
संतोष बताता है कि गांव में रोजगार का साधन मिलने से मेरी जिंदगी की गाड़ी फिर से पटरी पर आ गई है और मैं अपने परिवार का पालन पोषण अच्छे से कर रहा हूं। मनरेगा में काम दिलाने के लिए वह बालाघाट जिला प्रशासन की सराहना कर रहा है। संतोष का कहना है कि गांव में उसे ऐसे ही काम मिलेगा तो वह नागपुर नहीं जायेगा।