बर्लिन । पोट्सडैम इंस्टीट्यूट ऑफ क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च (जर्मनी) के साइंटिस्ट, प्रोफेसर एंडर्स लीवरमैन ने ग्लोबल वार्मिंग की वजह से भारत की बारिश पर होने वाले प्रभावों का अध्ययन किया है। उनके मुताबिक, जितनी बार धरती का पारा ग्लोबल वार्मिंग की वजह से एक डिग्री सेल्सियस ऊपर चढ़ेगा, उतनी बार भारत में मानसून की 5 फीसदी ज्यादा बारिश होगी। उनका कहना है कि मॉनसूनी बारिश हर साल बुरी होती जाएगी। साथ ही इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल होगा। उनकी यह स्टडी अर्थ सिस्टम डायनेमिक्स में प्रकाशित हुई है। भारत में आमतौर पर बारिश का सीजन जून के महीने से शुरू होता है और यह सितंबर के अंत तक चलता है। प्रो. एंडर्स ने बताया कि इस सदी के अंत तक साल-दर-साल ग्लोबल वार्मिंग की वजह से तापमान बढ़ेगा। हमारी स्टडी में यह बात सामने आई है कि भारत में मॉनसूनी बारिश और तबाही मचाएगी। इससे ज्यादा बाढ़ आएगी जिससे लाखों एकड़ में फैली फसलें खराब होंगी। एंडर्स के मुताबिक, इस शोध के लिए उन्होंने क्लाइमेट मॉडल 31 का उपयोग किया है।