मेलबर्न टेस्ट में यशस्वी जायसवाल के विकेट पर थर्ड अंपायर के फैसले पर विवाद हो गया। चौथे टेस्ट के आखिरी दिन ऑस्ट्रेलियन कप्तान कमिंस ने अपनी गेंद पर यशस्वी के खिलाफ कैच की अपील की। ग्राउंड अंपायर ने नॉट आउट दिया, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने DRS लिया और थर्ड अंपायर ने यशस्वी को आउट करार दे दिया।
DRS में स्निको मीटर में दिखाया गया कि गेंद बल्ले से नहीं टकराई और कोई आवाज भी नहीं हुई। इसके बावजूद थर्ड अंपायर ने यशस्वी को विजुअल डिफ्लेक्शन के आधार पर आउट करार दिया। इस फैसले पर यशस्वी ने ग्राउंड अंपायर से सवाल भी किया, लेकिन फैसला नहीं बदला गया।
थर्ड अंपायर ने यह फैसला ऐसे वक्त लिया, जब टीम इंडिया पर हार का खतरा मंडरा रहा था और यशस्वी 84 रन बनाकर एक ओर से छोर संभाले हुए थे। इस फैसले के बाद ग्राउंड में मौजूद इंडियन फैंस ने चीटर-चीटर के नारे लगाए।
फैसले पर विवाद क्यों, 5 सवाल-जवाब में समझें...
1. थर्ड अंपायर ने किस आधार पर दिया फैसला?
थर्ड अंपायरिंग की जिम्मेदारी बांग्लादेश के अंपायर शरफुदुल्लाह संभाल रहे हैं। उनके सामने फैसला लेने के लिए दो एविडेंस रखे गए। पहला स्निको मीटर और दूसरा विजुअल एविडेंस। शरफुदुल्लाह को स्निको मीटर में गेंद और बल्ले में कोई संपर्क नहीं दिखाई दिया, क्योंकि कोई आवाज नहीं आई। लेकिन गेंद की गल्व्स से करीबी और डिफ्लेक्शन के आधार पर अंपायर ने यशस्वी को आउट करार दे दिया।
2. गावस्कर ने फैसला गलत क्यों बताया?
मैच के दौरान कमेंट्री कर रहे सुनील गावस्कर ने कहा, "आप फैसला लेते वक्त टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं। स्निको मीटर में साफ दिख रहा था कि आउट नहीं है। यह एकदम गलत फैसला है। आपने बहुत दबाव वाली स्थिति में दबाव वाला फैसला दिया है। अंपायर को कोई निश्चित प्रमाण नहीं मिला कि यशस्वी आउट हैं, ऐसे में उन्हें आउट दिया जाना एकदम गलत है।"
3. ICC के नियम क्या कहते हैं?
ICC क्रिकेट नियम 31.6 के अनुसार, "बेनेफिट ऑफ डाउट" हमेशा बल्लेबाज को दिया जाना चाहिए, जिसका अर्थ है कि यदि कोई अंपायर आउट होने के बारे में निर्णय के बारे में अनिश्चित है, तो उन्हें बल्लेबाज को "नॉट आउट" करार देना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि बल्लेबाज को पारी खेलने का केवल एक ही मौका मिलता है और उसे मामूली कॉल पर आउट नहीं दिया जाना चाहिए।
ICC के नियमों के मुताबिक, DRS के दौरान फील्ड अंपायर के फैसले की भी बड़ी भूमिका होती है। अगर फील्ड अंपायर ने नॉटआउट करार दिया है तो फैसला लेते वक्त उस पर भी ध्यान दिया जाता है। अंपायर ने आउट करार दिया है तो वह भी थर्ड अंपायर के फैसले में रोल निभाता है। LBW के फैसलों में DRS के दौरान अंपायर्स कॉल ही डिसीजन तय करती है।
4. राहुल के फैसले में स्निको आधार तो यशस्वी में क्यों नहीं?
सीरीज के पहले मैच में भी विकेट को लेकर विवाद हुआ था। पहले मैच में भारत की पहली पारी के दौरान केएल राहुल के आउट होने पर विवाद हुआ था। 23वें ओवर की दूसरी गेंद स्टार्क ने आगे फेंकी जिसे राहुल ने डिफेंस करना चाहा। गेंद उनके बल्ले के पास से विकेटकीपर एलेक्स कैरी के हाथों में गई।
पूरी ऑस्ट्रेलियाई टीम ने अपील की, लेकिन अंपायर ने आउट नहीं दिया।
ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पैट कमिंस ने रिव्यू लिया। रिव्यू में जब रिप्ले दिखाया तो बैक कैमरा एंगल से बैट और बॉल के बीच गैप साफ दिख रहा था, लेकिन फिर भी स्निको मीटर में हरकत दिखाई गई। इसके बावजूद भी थर्ड अंपायर ने केएल राहुल को आउट करार दिया। थर्ड अंपायर ने यह डिसीजन स्निको मीटर के आधार पर लिया था।
चौथे टेस्ट में यशस्वी पर थर्ड अंपायर का फैसला आने के बाद कमेंटेटर्स जतिन सप्रू, इरफान पठान और सुनील गावस्कर ने सवाल उठाया कि राहुल के फैसले में स्निको को आधार बनाया गया था तो यशस्वी के फैसले में स्निकोमीटर की टेक्नोलॉजी को दरकिनार क्यों किया। यह दोहरा रवैया क्यों अपनाया?