क्वींसलैंड । कोरोना वैक्सीन आपूर्ति और इसके प्रबंधन से जुड़े मुद्दों के अलावा, वैक्सीन लेने में हिचकिचाहट भी ऑस्ट्रेलिया के टीकाकरण अभियान में एक बड़ी बाधा रही है। ऑस्ट्रेलियन टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (एटीएजीआई) ने रक्त के थक्के जमने के एक दुर्लभ विकार के चलते अब 60 साल से कम उम्र के सभी लोगों के लिए एस्ट्राजेनेका की बजाय फाइजर की सिफारिश की है, जो वैक्सीन लगवाने का मन बना रहे लोगों के लिए एक और झटका साबित हो रहा है। विक्टोरिया और न्यू साउथ वेल्स में कोविड के सक्रिय मामलों को देखते हुए, अब उन सभी संभावित कारकों पर विचार करने का समय आ गया है, जो वैक्सीन हिचकिचाहट में योगदान दे सकते हैं। इनमें से एक है मीडिया भी है।
हालांकि वैक्सीन लगवाने में हिचकिचाहट की खबरें वास्तविक सामुदायिक चिंताओं का वर्णन कर सकती हैं, लेकिन वे अनजाने में ही कोविड वैक्सीन के प्रति एक भय को भी हवा दे सकती हैं। कुछ ऑस्ट्रेलियाई कोविड वैक्सीन लगवाने के लिए अनिच्छुक क्यों हैं? एक तरफ ऑस्ट्रेलियाई मानते हैं कि उनका पर्यावरण सुरक्षित है और कोविड-19 से अपेक्षाकृत मुक्त है, लेकिन फिर भी कुछ लोग वैक्सीन लगवाने के इच्छुक नहीं हैं।वे टीकाकरण से हिचक रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि टीका अपने आप में वायरस से अधिक जोखिम पैदा कर सकता है। हालांकि बीमारी के डर से लोग टीकाकरण के लिए प्रेरित हुए।
2020 के मध्य में किए गए सर्वेक्षण में पाया गया था कि यदि उस समय वैक्सीन उपलब्ध होती तब 68 प्रतिशत लोग कोविड-19 वैक्सीन लेते। यह वह लोग थे, जिन्होंने कहा कि उन्हें वैक्सीन के साइड इफेक्ट, परीक्षण की गुणवत्ता और टीके के विकास की गति के बारे में चिंता नहीं है। हम कह सकते हैं, कि जब ऑस्ट्रेलिया में बीमारी का सामुदायिक संचरण अधिक था, और वैक्सीन से रक्त के थक्कों जैसी दुर्लभ प्रतिकूल घटनाओं की बात सामने नहीं आई थी, बीमारी से सुरक्षा एक प्रमुख चिंता थी। टीके की हिचकिचाहट पर खबरें देने से समस्या और खराब हो सकती है पिछले कई महीनों से, ऐसा लगता है जैसे हर दूसरे दिन समाचारों में एक नई रिपोर्ट या सर्वेक्षण होता है, जो यह खुलासा करता है कि कितने लोग कोविड वैक्सीन लगवाने से हिचकिचा रहे हैं।
हाल ही के एक अध्ययन में पाया गया कि अमेरिका में विश्वविद्यालय के छात्रों ने अपने साथियों में टीकाकरण की इच्छा के बारे में जानने के बाद खुद भी टीका लगवाने का मन बनाया। इसी तरह, यह मान लेना जरूरी है कि अगर टीका लगवाने के प्रति लोगों की हिचकिचाहट को बड़े पैमाने पर मीडिया द्वारा रिपोर्ट किया जाएगा, तब और ज्यादा लोग टीका न लगवाने के बारे में सोचने वाले है।