सोल । उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने देश की सत्तारूढ़ वर्कर्स पार्टी के शक्तिशाली पोलित ब्यूरो में अपनी बेहद प्रभावशाली बहन किम यो जोंग को जगह नहीं दी है। किम के इस कदम से किम यो जोंग को लेकर अटकलों का बाजार गरम हो गया है। माना जा रहा है कि उत्तर कोरियाई तानाशाह ने अपनी बहन के बढ़ते प्रभाव के बीच मिश्रित संकेत दिया है। उत्तर कोरिया में रविवार को सेंट्रल कमिटी का चुनाव हुआ था। किम यो जोंग अभी सेंट्रल कमिटी की एक सदस्य बनी रहेंगी लेकिन उन्हें पोलित ब्यूरो की सूची में शामिल नहीं किया गया है। इससे पहले ऐसी अपेक्षा की जा रही थी कि किम जोंग उन अपनी बहन का नाम पोलित ब्यूरो की लिस्ट में शामिल कर सकते हैं। इससे पहले पार्टी की बैठक में 38 नेताओं के बीच किम यो जोंग भी नजर आई थीं।
किम यो जोंग का प्रभाव पिछले कुछ वर्षों में बहुत तेजी से बढ़ा है। शुरुआत में किम यो जोंग अपने भाई की निजी सचिव के रूप में नजर आई थीं और उसके बाद दक्षिण कोरिया पर विशेष दूत बनाया गया। वर्ष 2017 में वह दूसरी ऐसी महिला बनी थीं जो सेंट्रल कमिटी की सदस्य बनीं। दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसी का मानना है कि किम यो जोंग देश में दूसरे नंबर की नेता की हैसियत से काम कर रही हैं। उधर उत्तर कोरियाई मामलों के विशेषज्ञ प्रोफेसर लिम इल चुल का कहना है। किम जोंग उन के हैसियत को लेकर अभी कोई निष्कर्ष निकालना जल्दीबाजी होगी, क्योंकि वह अभी भी सेंट्रल कमिटी की मेंबर हैं। इस बात की भी संभावना है कि किम जोंग उन को अन्य महत्वपूर्ण पद दिए गए हों। कमिटी ने किम जोंग उन को पार्टी का महासचिव चुना है जो उनके पिता को पहले दिया गया था। माना जा रहा है कि किम जोंग उन ने अपनी पकड़ को और मजबूत करने के लिए ऐसा किया है।