ट्रूडो के कनाडा में भारत के खिलाफ खालिस्तानियों को खुली छूट! भारतीय कांसुलेट के सामने किया उग्र प्रदर्शन, तिरंगे का अपमान

Updated on 20-10-2024 01:19 PM
ओट्टावा: भारत की लगातार मांग के बावजूद कनाडा की जस्टिन ट्रूडो की सरकार खालिस्तान अलगाववादियों पर लगाम नहीं लगा रही है। बल्कि ऐसा लगता है कि कनाडा में खालिस्तानियों को भारत विरोधी काम करने की छूट दे रखी है। अब खालिस्तान समर्थक अलगाववादियों ने वैंकूवर में भारतीय वाणिज्य दूतावास के सामने प्रदर्शन किया है, जहां खुलेआम भारतीय तिरंगे का अपमान किया गया। खालिस्तानी अलगाववादियों की इन गतिविधियों के चलते कनाडा में भारतीय राजनयिकों के लिए लगातार खतरा पैदा हो रहा है।

तिरंगे का हुआ अपमान


शुक्रवार दोपहर बाद (भारतीय समयानुसार शनिवार सुबह) खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारी वैंकूवर में भारतीय कांसुलेट के सामने जमा हो गए। इस दौरान खालिस्तान समर्थकों ने भारत के प्रधानमंत्री का पुतला ले रखा था। कांसुलेट के सामने ही तिरंगे का अपमान किया गया। इस दौरान पीएम मोदी और भारत के खिलाफ नारेबाजी की गई। खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों ने ट्रूडो सरकार से पूरे कनाडा में भारतीय कांसुलेट को बंद करने की मांग की।
ये प्रदर्शन ऐसे समय में हुए हैं, जब कनाडा और भारत के रिश्ते बेहद तनाव भरे दौर से गुजर रहे हैं। कनाडा ने भारत के शीर्ष राजनयिकों पर गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने का बेबुनियाद आरोप लगाया था, जिसका भारत ने कड़ा विरोध किया था। 14 अक्टूबर को भारत ने अपने छह राजनयिकों को भारत वापस बुला लिया था। इसके साथ ही कनाडा के छह राजनयिकों को भारत छोड़ने का आदेश दिया गया था।

भारतीय राजनयिकों को नोटिस


इस बीच कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने शुक्रवार को कहा कि उनके देश में बाकी बचे भारतीय राजनयिक भी ‘स्पष्ट रूप से नोटिस पर हैं।’ जोली ने कहा कि उनकी सरकार ऐसे किसी भी राजनयिक को बर्दाश्त नहीं करेगी जो विएना संधि का उल्लंघन करेगा। जोली से जब पूछा गया कि क्या दूसरे राजनयिकों पर भी कार्रवाई की जा सकती है? इस पर उन्होंने कहा, ‘वे साफतौर से नोटिस पर हैं। इनमें से 6 को निष्कासित किया गया है, जिनमें ओटावा में तैनात उच्चायुक्त भी शामिल हैं। दूसरे अधिकारी टोरंटो और वैंकूवर से हैं।’

रूस से की भारत की तुलना


जोली ने भारत की तुलना रूस से कर डाली। उन्होंने कहा, ‘हमने अपने इतिहास में ऐसा कभी नहीं देखा है। कनाडा की जमीन पर उस तरह का अंतरराष्ट्रीय दमन नहीं होने दिया जा सकता, जैसा कि हम यूरोप में देख चुके हैं। रूस ने जर्मनी-ब्रिटेन में ऐसा किया है और हमें इस मामले पर दृढ़ता दिखाने की जरूरत है।’
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