लंदन । हबल स्पेस टेलिस्कोप और हवाई की जेमिनाई नॉर्थ ऑब्जर्वेटरी से मिलीं तस्वीरों में बृहस्पति का वायुमंडल अलग वेवलेंथ में दिखाई दिया है। इनकी मदद से ही वैज्ञानिक वहां बनने वाले तूफानों के बारे में जान सकते हैं। बृहस्पति ग्रह पर आने वाले भयानक तूफान के पीछे आखिर क्या है? वैज्ञानिकों ने इन्फ्रारेड, विजिबल और अल्ट्रावॉइलट वेवलेंथ में ये तस्वीरें ली थीं और इन्हें प्रोसेस करने के बाद बादलों में तुलना की गई है।
एक तस्वीर में बृहस्पति एकदम आग सा धधकता दिखाई दिया है और इसका ग्रेट रेड स्पाट भी अलग नजर आया है। अलग-अलग वेवलेंथ पर बृहस्पति में दिखने वाले बदलाव से ऐस्ट्रोनॉमर्स को वायुमंडल के बारे में नई जानकारी मिली है। दिलचस्प बात यह है कि बृहस्पति के ईक्वेटर के दक्षिण में दिखने वाले महातूफान ग्रेट रेड स्पाट को विजिबल और अल्ट्रावॉइलट वेवलेंथ में देखा जा सकता है लेकिन इन्फ्रारेड रोशनी में यह बैकग्राउंड में मिल जाता है। तीनों में तुलना से यह भी पता चला है कि इस इन्फ्रारेड तस्वीर में डार्क रेड स्पॉट की जगह दिखने वाला क्षेत्र विजिबल लाइट में और बड़ा दिखता है। अमेरिका के नैशनल ऑप्टिकल इन्फ्रारेड ऐस्ट्रोनॉमी रिसर्च लैब का कहना है कि ऐसा इसलिए है कि हर रोशनी अलग-अलग प्रॉपर्टी को कैद करती है। इन्फ्रारेड में मोटे बादल दिखते हैं, विजिबल और अल्ट्रावॉइलट रोशनी में क्रोमोफोर्म का क्षेत्र दिखता है। ये ऐसे कण होते हैं जो नीली और अल्ट्रावॉइलट रोशनी को अब्जॉर्ब करते हैं। इससे ये लाल रंग के दिखते हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिक माइक वॉन्ग ने नासा के जुनो स्पेसक्राफट से मिले रेडियो सिग्नल्स के साथ ही इन तस्वीरों की तुलना की है। ये सिग्नल बृहस्पति के वायुमंडल में बिजली दिखाते हैं। तुलना करने पर उन्हें बादल की अलग-अलग परतों के बारे में ज्यादा जानकारी मिली है।ये तस्वीरें पहले 11 जनवरी, 2017 को ली गई थीं। अल्ट्रावॉइलट और विजिबल व्यू हबल स्पेस टेलिस्कोप के वाइड फील्ड कैमरे ने और इन्फ्रारेड तस्वीरें नियर इन्फ्रारेड इमेजर ने ली थीं। ग्रेट रेड स्पाट के अलावा रेड स्पाट जूनियर भी दिखा जो साल 2000 में बना था। यह भी इन्फ्रारेड वेवलेंथ में मुश्किल से दिखता है और दूसरे रंगों में मिल जाता है। इन्फ्रारेड तस्वीर में एक चक्रवात जैसा दिख रहा है। विजिबल लाइट में यह भूरे रंग का दिखा।