तेहरान । अमेरिका से तनाव के बीच ईरान ने एक भूमिगत इकाई में 20 प्रतिशत तक यूरेनियम संवर्धन शुरू कर दिया है। यह जानकारी ईरान सरकार के एक प्रवक्ता ने दी। 20 प्रतिशत यूरेनियम संवर्धन 90 प्रतिशत के हथियार-ग्रेड के स्तर से अलग एक तकनीकी कदम है। एक दशक पहले ईरान के 20 प्रतिशत यूरेनियम संवर्धन के फैसले से उसका इजराइल के साथ तनाव हो गया था। यह तनाव 2015 में परमाणु समझौते के बाद ही कम हुआ था। 20 प्रतिशत संवर्धन की फिर से शुरुआत के कारण फिर से अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
अली रबिई के हवाले से कहा कि राष्ट्रपति हसन रूहानी ने फोर्डो इकाई में इस कदम के लिए आदेश दिए हैं। दरअसल, इस समझौते के तहत ईरान सिर्फ 4प्रतिशत संवर्धन कर सकता है। इतनी शुद्धता के यूरेनियम का इस्तेमाल बिजली निर्माण के लिए किया जाता है जबकि परमाणु हथियारों के लिए 90प्रतिशत शुद्धत का यूरेनियम चाहिए होता है। ईरान के कट्टर धार्मिक नेता इजरायल पर गलत तरीके से मुस्लिम जमीन पर कब्जा करने के आरोप लगाते रहे हैं जिसके कारण इजरायल भी ईरान को अपने लिए संकट मानता है। उसने हमेशा ईरान के परमाणु हथियारों से लैस होने का विरोध किया है जबकि ईरान इन आरोपों का खंडन करता रहा है। हालांकि, नवंबर 2020 में उसके चीफ न्यूक्लियर साइंटिस्ट मोहसिन फखरीजादेह की हत्या के बाद फैसला किया गया था कि यूरेनियम की शुद्धता बढ़ाई जाएगी जिससे इजरायल और अमेरिका के चौकन्ने हो गए। यह कदम अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 2018 में तेहरान के साथ परमाणु समझौते से अमेरिका को एकतरफा तौर पर अलग कर लेने के बाद आया है। उसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ाने वाली कई घटनाएं हुई हैं।
हाल ही में ईरान ने आरोप लगाया है कि अमेरिका ने अपने परमाणु बॉम्बर पारस की खाड़ी में भेजे हैं, जबकि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का दावा है कि पिछले 48 घंटे में ईरानी नौसेना और सक्रिय हो गई है। उधर, इजरायली मीडिया ने अमेरिकी सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि इजरायल और सऊदी अरब ट्रंप को उकसा रहे हैं कि अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले वह ईरान के परमाणु ठिकानों को ध्वस्त करें। राजनीतिक विश्लेषकों ने यह भी आशंका जताई है कि राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन की जीत से बौखलाए ट्रंप जाते-जाते ईरान के साथ विवाद को और जटिल बनाने की कोशिश कर सकते हैं ताकि आने वाली सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी की जा सकें।