भारत का खौफ, चीन की चेतावनी बलूचों के आगे झुके इमरान खान, कहा-विद्रोहियों से करेंगे बात

Updated on 06-07-2021 08:33 PM

ग्‍वादर। पाकिस्तान की स्थापना के बाद से ही बलूचिस्‍तान की निर्दोष जनता पर कहर ढाने वाले पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को अब भारत का खौफ और चीन की चेतावनी का डर सता रहा है। यही कारण है कि पीएम इमरान खान ने ऐलान किया है कि वह बलूचिस्‍तान के व‍िद्रोहियों के साथ बात करने के लिए तैयार हैं। उन्‍होंने कहा कि विद्रोही कुछ पिछली शिकायतों की वजह से पाकिस्‍तान सरकार से नाराज थे या भारत ने उनका इस्‍तेमाल पाकिस्‍तान में आतंक फैलाने के लिए किया। हालांकि इमरान ने दावा किया कि अब बलूचिस्‍तान में स्थिति बदल गई है। बलूचिस्‍तान के ग्‍वादर में विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करने पहुंचे इमरान खान ने कहा कि अगर बलूचिस्‍तान में विकास परियोजनाओं को बढ़ावा दिया गया होता तो हमें कभी भी विद्रोहियों को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं होती। उन्‍होंने कहा, बलूचों की पहले की शिकायतें हो सकती हैं और दूसरे देशों ने इस्‍तेमाल किया होगा...भारत ने उनका इस्‍तेमाल अव्‍यवस्‍था फैलाने के लिए किया होगा लेकिन अब स्थिति वैसी नहीं रही।

  इमरान ने यह भी कहा कि अभी पाकिस्‍तान की आर्थिक स्थिति इतनी अच्‍छी नहीं हुई है कि हमारी सरकार बहुत ज्‍यादा पैसा बलूचिस्‍तान को दे सके। उन्‍होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री बनने से पहले उन्‍होंने बलूचिस्‍तान के विकास की ठान ली थी। इमरान खान ने कहा कि पाकिस्‍तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने लंदन की 24 बार यात्रा की, लेकिन एक भी बार बलूचिस्‍तान नहीं आए। वहीं पूर्व राष्‍ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने दुबई की 51 बार यात्रा की, लेकिन वह कभी ग्‍वादर नहीं आए। दरअसल, ग्‍वादर चाइना-पाकिस्‍तान इकनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) का बेहद अहम ठिकाना है। इस पूरे प्रॉजेक्‍ट पर चीन ने 62 अरब डॉलर का निवेश किया है। यही नहीं ग्‍वादर में चीन नौसैनिक अड्डा बनाने की तैयारी कर रहा है ताकि उसके जंगी जहाज पूरे फारस की खाड़ी पर अपनी पकड़ को मजबूत कर सकें। अभी तक इस इलाके में अमेरिकी नौसेना का दबदबा है। 

बलूच विद्रोही लगातार चीन की परियोजनाओं और पाकिस्‍तानी सैनिकों पर जानलेवा हमले कर रहे हैं। इन हमलों में कई चीनी नागरिक भी मारे गए हैं। पाकिस्‍तान आरोप लगाता रहा है कि बलूच‍ विद्रोहियों को भारत मदद देता है। अब पाकिस्‍तानी पीएम ने खुलकर भारत का नाम भी ले ल‍िया है। बलूच हमलों और भारत का यही डर है जिसकी वजह से लंबे अरसे बाद कोई पाकिस्‍तानी पीएम बलूच विद्रोहियों के साथ बातचीत को तैयार हुआ है। पिछले दिनों पाकिस्तानी सेना के एक जनरल ने यह कहकर तहलका मचा दिया था कि बलूचिस्तान की आजादी के आंदोलन को दबाने में चीन की भूमिका है। उन्होंने कहा है कि पेइचिंग ने उन्हें बलूचों का संघर्ष खत्म करने के लिए 6 महीने का वक्त दिया है। बांग्लादेशी अखबार ने पाकिस्तानी सेना के मेजर जनरल अयमान बिलाल के हवाले से लिखा है कि उन्हें बलूच आंदोलन को खत्म करने के लिए क्षेत्र में तैनात किया गया है। बिलाल ने ईरान को पाकिस्तान का सबसे बड़ा दुश्मन बताया है और चेतावनी दी है कि पाक सेना ईरान के अंदर जाकर ऐक्शन लेगी।

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