जेनेवा । भारत ने पूर्वी यूक्रेन में तनाव कम करने के प्रयासों का स्वागत करते हुए कहा कि इस मुद्दे के राजनीतिक एवं कूटनीतिक समाधान तलाशने के लिए सभी पक्षों को मिलकर काम करना होगा। संयुक्त राष्ट्र में भारत के दूत एवं स्थाई उप-प्रतिनिधि के नागराज नायडू ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में यूक्रेन में स्थिति पर चर्चा के दौरान कहा हमारा मानना है कि मिंस्क समझौता पूर्वी यूक्रेन में बातचीत के जरिए और शांतिपूर्ण तरीके से स्थिति को बहाल करने में आधार बना है।
फ्रांस और जर्मनी की मध्यस्थता में मिंस्क समझौता पर रूस और यूक्रेन ने फरवरी 2015 में हस्ताक्षर किए थे। इससे पूर्वी यूक्रेन में शांति का मार्ग प्रशस्त हुआ। समझौते का लक्ष्य यूक्रेन एवं रूस समर्थित अलगाववादियों के बीच संघर्ष का समाधान करना था। अप्रैल 2014 में क्रीमिया पर रूस के कब्जे के बाद यूक्रेन के साथ रूस का विवाद चल रहा था। रूस रूसी भाषी बहुल वाले औद्योगिक क्षेत्र दोनबास में अलगाववादियों का समर्थन करता है।
नायडू ने कहा कि हमारा यह भी मानना है कि नॉरमंडी फॉरमैट के तहत मिंस्क समझौते के प्रावधानों को लागू करने से संबंधित मुद्दों और सुरक्षा एवं राजनीतिक पहलुओं के समाधान में मदद मिलेगी। नॉरमंडी फॉरमैट का प्रयोग फ्रांस, जर्मनी, रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत के संदर्भ में किया जाता है। उन्होंने कहा कि भारत क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए हो रहे सभी प्रयासों की सराहना करता है। चर्चा में संयुक्त राष्ट्र के राजनीतिक मामलों के प्रमुख उपमहामंत्री डिकार्ल ने कहा कि जब तक सुरक्षा एवं राजनीति के मोर्चे पर प्रगति नहीं होती तब तक स्थिति पूरी तरह से बहाल नहीं होगी हालांकि नागरिकों के हताहत होने के मामलों में कमी आयी है। अमेरिकी मिशन में राजनीतिक समन्वयक रोडनी हंटर ने कहा कि 2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया और दोनबास क्षेत्र में संघर्ष को भड़काया।