बीजिंग। भारत ने जम्मू कश्मीर पर चीन में स्थित पाकिस्तान के राजदूत मोइन-उल-हक के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भारत ने बयान को ‘झूठ एवं अर्धसत्य’ कहते हुए हक को आड़े हाथ लिया। भारत की तरफ से कहा गया कि इस्लामाबाद द्वारा भर्ती, प्रशिक्षित और हथियारबद्ध किए गए आतंकवादियों ने केंद्र शासित प्रदेश में शांति और व्यवस्था भंग की है जो भारत का एक अभिन्न अंग है। बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास ने कहा कि जम्मू कश्मीर में शांति, स्थिरता और प्रगति लाने का भारत का समन्वित प्रयास पाकिस्तान की उस रणनीति के बिलकुल विपरीत है जो क्षेत्र को कमजोर करने के उद्देश्य से सीमा पार आतंकवाद के अभियान से थोड़ा अधिक है।’ दूतावास ने एक बयान में कहा कि राजदूत हक ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के विषय में पाकिस्तान के झूठ एवं अर्धसत्य दोहराने का चयन किया जो भारत का एक अभिन्न अंग है और जिसके मामले भारत के आंतरिक मामले हैं और वहां पाकिस्तान या किसी अन्य देश को हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है। बयान में कहा गया है कि राजदूत हक की गलत बयानी से हैरानी नहीं हुई है लेकिन इससे भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त किये जाने के बाद जम्मू कश्मीर ने एक वर्ष में जो महत्वपूर्ण प्रगति की है, उसे छुपाया नहीं जा सकता।
विकास संबंधी गतिविधियों का विवरण
बयान में साथ ही पिछले एक साल में सरकार द्वारा शुरू की गई विकास संबंधी गतिविधियों का विवरण दिया गया है। इसमें कहा गया है कि हक को भारत सरकार के कदमों को लेकर बेतुकी टिप्पणी करने से पहले अपने ‘शासन’ को देखना चाहिए और क्षेत्र में पाकिस्तान के कृत्यों को प्रतिबिंबित करना चाहिए। बयान में कहा गया है, ‘पाकिस्तान द्वारा भर्ती और प्रशिक्षित किए गए हथियारों से लैस आतंकवादियों ने जम्मू कश्मीर में शांति और व्यवस्था को भंग किया है। अगस्त 2019 के बाद से आतंकवादी हिंसा की 450 से अधिक घटनाओं को अंजाम दिया गया है, जिसमें कई असैनिक हताहत हुए है और वह वास्तव में पाकिस्तान है जिसने जम्मू कश्मीर और लद्दाख के अवैध रूप से एवं जबरन कब्जाये गए क्षेत्रों में प्रशासनिक और जनसांख्यिकीय परिवर्तन किये हैं।’