अमेरिका-चीन की उच्च-स्तरीय बैठक में दोनों देशों ने खुलकर की बात, घंटों चली तीखी बहस

Updated on 20-03-2021 07:55 PM

वॉशिंगटन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के सत्ता संभालने के बाद अमेरिका और चीन के शीर्ष अधिकारियों की आमने-सामने हुई पहली बैठक उच्चस्तरीय बैठक में दोनों पक्षों ने अपनी बात खुलकर की। अलास्का में दो दिन तक चलने वाली इस वार्ता के प्रारंभ में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के विदेश मामलों के प्रमुख यांग जियेची ने एक दूसरे के देश की नीतियों पर निशाना साधा। किसी गंभीर राजनयिक वार्ता के लिए यह असामान्य बात है।  ब्लिंकन ने कहा कि बाइडेन प्रशासन चीन के अधिपत्य जमाने की बढ़ती प्रवृत्ति के खिलाफ सहयोगी देशों के साथ एकजुट है। इस पर यांग ने अमेरिका के बारे में चीन की शिकायतों की फेहरिस्त जारी कर दी और वॉशिंगटन पर मानवाधिकारों तथा अन्य मुद्दों पर बीजिंग की आलोचना करने के लिए आडंबर करने का आरोप लगाया। काले अमेरिकी लोगों का ज़िक्र करते हुए चीन के अधिकारियों ने कहा कि 'अमेरिका में ख़ुद मानवाधिकारों की स्थिति सबसे निचले स्तर पर है। दोनों देशों के प्रतिनिधियों की ये बहस एक घंटे से ज़्यादा समय तक चलती रही।

इस बैठक में दोनों पक्षों के तल्ख मिजाज से लगता है कि व्यक्तिगत वार्ता और भी हंगामेदार हो सकती है। एंकरेज में हो रही यह बैठक दोनों देशों के बीच तनावग्रस्त होते रिश्तों के लिए नयी परीक्षा की तरह है। दोनों देशों में तिब्बत, हांगकांग और चीन के पश्चिमी शिनझियांग क्षेत्र में व्यापार से लेकर मानवाधिकारों तक अनेक मुद्दों पर मतभेद हैं। उनके बीच ताइवान, दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते प्रभुत्व और कोरोना वायरस महामारी को लेकर भी विवाद हैं।

वहीं बैठक से पहले राष्ट्रपति जो बाइडेन तथा विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से ताइवान को समर्थन देने का अनुरोध करते हुए दक्षिण चीन सागर में तथा भारत समेत अन्य पड़ोसियों के खिलाफ चीन के आक्रामक बर्ताव का मुद्दा उठाने के लिए कहा। कांग्रेस सदस्य एश्ले हिन्सन के नेतृत्व में सांसदों ने कहा कि एक ओर जहां अमेरिका दक्षिण चीन सागर में बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने पर जोर दे रहा है तो वहीं चीन लगातार इन प्रयासों को कमजोर कर रहा है तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दुर्भावनापूर्ण एवं आक्रामक गतिविधियों में लिप्त है और साथ ही वह मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन कर रहा है। सांसदों ने कहा कि यह आवश्यक है कि बाइडेन प्रशासन लोकतंत्र को खत्म करने की चीन की कोशिशों के खिलाफ खड़ा हो और यह स्पष्ट करें कि ताइवान के लिए अमेरिका का समर्थन अटल है। उन्होंने कहा कि पिछले 40 वर्षों में ताइवान हमारे मजबूत सहयोगियों में से एक बनकर उभरा है। ताइवान ने समय-समय पर अमेरिका के लिए अपनी प्रतिबद्धता साबित की है। बैठक से पहले एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने इस वार्ता को दोनों पक्षों के लिए संबंधों का 'जायजा लेने' का अवसर बताया। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष वार्ता के बाद कोई संयुक्त बयान जारी नहीं करेंगे और वार्ता के बाद कोई बड़ी घोषणा होने की उम्मीद भी नहीं है। अमेरिका में चीन के राजदूत ने भी बुधवार को चीनी मीडिया को दिए बयान में अलास्का बैठक से कोई उम्मीद रखने के लिए कहा। हालांकि, साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे बेहतर संवाद का रास्ता खुलेगा।

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