ईरान में इब्राहीम रईसी का राष्ट्रपति बनाना लगभग तय, आधिकारिण घोषणा बाकी

Updated on 20-06-2021 06:52 PM

दुबई ईरान में राष्ट्रपति पद के चुनाव में देश के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई के कट्टर समर्थक एवं कट्टरपंथी न्यायपालिका प्रमुख इब्राहीम रईसी ने बड़े अंतर से जीत हासिल की। ऐसा प्रतीत होता है कि राष्ट्रपति पद के चुनाव में देश के इतिहास में इस बार सबसे कम मतदान हुआ। प्रारंभिक परिणाम के अनुसार, रईसी ने एक करोड़ 78 लाख वोट मिले हैं। चुनावी दौड़ में एकमात्र उदारवादी उम्मीदवार अब्दुलनासिर हेम्माती बहुत पीछे रहे गए। बहरहाल, खामेनेई ने रईसी के सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी को अयोग्य करार दे दिया था, जिसके बाद न्यायपालिका प्रमुख ने यह बड़ी जीत हासिल की। रईसी की उम्मीदवारी के कारण ईरानी मतदाता मतदान के प्रति उदासीन नजर आए और पूर्व कट्टरपंथी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद सहित कई लोगों ने चुनाव के बहिष्कार का आह्वान किया।

ईरान के गृह मंत्रालय में चुनाव मुख्यालय के प्रमुख जमाल ओर्फ ने बताया कि प्रारंभिक परिणामों में, पूर्व रेवोल्यूशनरी गार्ड कमांडर मोहसिन रेजाई ने 33 लाख मत हासिल किए और हेम्माती को 24 लाख मत मिले हैं। एक अन्य उम्मीदवार आमिरहुसैन गाजीजादा हाशमी को 10 लाख मत मिले। उदारवादी उम्मीदवार एवंसेंट्रल बैंकके पूर्व प्रमुख हेम्माती और पूर्व रेवोल्यूशनरी गार्ड कमांडर मोहसिन रेजाई ने रईसी को बधाई दी। हेम्माती ने शनिवार तड़के रईसी को बधाई देकर लिखा, मुझे आशा है कि आपका प्रशासन ईरान के इस्लामी गणराज्य को गर्व करने का कारण प्रदान करेगा, महान राष्ट्र ईरान के कल्याण के साथ जीवन और अर्थव्यवस्था में सुधार करेगा।

रेजाई ने मतदान में हिस्सा लेने के लिए खामेनेई और ईरानी लोगों की ट्वीट करके प्रशंसा की। रेजाई ने लिखा, मेरे आदरणीय भाई आयतुल्ला डॉ.सैयद इब्राहीम रईसी का निर्णायक चयन देश की समस्याओं को हल करने के लिए एक मजबूत और लोकप्रिय सरकार की स्थापना का वादा करता है।

चुनाव में किसी उम्मीदवार का शुरुआत में ही हार स्वीकार कर लेना ईरान के चुनावों में कोई नई बात नहीं है। यह इसका संकेत देता है कि सावधानी से नियंत्रित किए गए इस मतदान में रईसी ने जीत हासिल की है। कुछ लोगों ने इन चुनावों का बहिष्कार किया है। इस बार मतदान प्रतिशत 2017 के पिछले राष्ट्रपति चुनाव के मुकाबले काफी कम रहा है। रईसी की जीत की आधिकारिक घोषणा के बाद वह पहले ईरानी राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं, जिन पर पदभार संभालने से पहले ही अमेरिका प्रतिबंध लगा चुका है। उन पर यह प्रतिबंध 1988 में राजनीतिक कैदियों की सामूहिक हत्या के लिये तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना झेलने वाली ईरानी न्यायपालिका के मुखिया के तौर पर लगाया गया था।

रईसी की जीत से ईरान सरकार पर कट्टरपंथियों की पकड़ और मजबूत होगी और यह उस समय में होगा, जब पटरी से उतर चुके परमाणु करार को बचाने की कोशिश के तहत ईरान के साथ विश्व शक्तियों की वियना में वार्ता जारी है। ईरान फिलहाल यूरेनियम का बड़े स्तर पर संवर्धन कर रहा है। इस लेकर अमेरिका और इजराइल के साथ उसका तनाव काफी बढ़ा हुआ है। माना जाता है कि इन दोनों देशों ने ईरानी परमाणु केंद्रों पर कई हमले किए और दशकों पहले उसके सैन्य परमाणु कार्यक्रम को बनाने वाले वैज्ञानिक की हत्या करवाई।

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