कोरबा पुलिस के अधिकारी भी समाज का एक हिस्सा होते हैं। वर्दी पहनने से पहले वे भी एक आम इंसान की तरह ही होते हैं तो पुलिस बनने के बाद भी उनकी मानसिकता एक आम इंसान की तरह होनी चाहिए। पुलिस अधिकारी अपना व्यवहार इस तरह बनाएं कि लोगों की धारणा बदले। पुलिस व जनता के बीच संवाद दोस्ताना करने की काफी जरूरत है। पुलिस की मिलीभगत से अपराध होना किसी शर्म से कम नहीं और कोरबा में भी यदि ऐसा कुछ हुआ तो संबंधित कर्मचारी बख्शे नहीं जाएंगे।
यह बातें बिलासपुर संभाग के पुलिस महानिरीक्षक रतनलाल डांगी ने कोरबा प्रेस क्लब तिलक भवन में प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि मैं एक खुली किताब हूं और मेरे जीवन की कोई भी बात किसी से छिपाने वाली नहीं है। देश की 99 प्रतिशत जनसंख्या आज भी जिस संघर्ष से जूझ रही है उसी संघर्षपूर्ण माहौल से मैं भी आया हूं, ऐसे पारिवारिक माहौल के युवा कुछ सीखें इसलिए समय-समय पर लिखता भी रहता हूं। हर गरीब, किसान अपने बच्चे को आगे बढ़ने का सपना दिखा सकता है और युवा भी जज्बे के साथ आगे बढ़ सकता है। एक नागरिक के रूप में हम जो अपेक्षा अधिकारियों से करते हैं, जब हम किसी पद पर पहुंच जाएं तो उसे भूलना नहीं चाहिए। अपनी सीमा में रहकर जरूरतमंद की मदद तो करें ही और बात भी सभी की सुनें क्योंकि पीड़ित के मन का बोझ हल्का हो जाता है। पुलिस की छवि को लेकर जनता में बनी धारणा को सुधारने लगातार कोशिश करते रहना चाहिए। मैं यह कोशिश निरंतर करता हूं कि मुझसे मिलने वाले लोग निराश न हों। कोरोना काल पुलिस प्रशासन के साथ मीडिया कर्मियों के लिए भी डिप्रेशन की तरह रहा लेकिन अपना कार्य योगदान देते रहे। इस दौर में युवाओं को डिप्रेशन से बचाने के लिए मैं सोशल मीडिया में प्रयास करता रहा।
इससे पूर्व प्रेस क्लब परिवार की ओर से आईजी का पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत किया गया। मो. सादिक शेख ने संचालन किया। प्रेस क्लब अध्यक्ष ने स्वागत उद्बोधन दिया व वरिष्ठ पत्रकार किशोर शर्मा ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डाला। अंत में प्रेस क्लब संरक्षक कमलेश यादव, सचिव मनोज ठाकुर, उपाध्यक्ष रामेश्वर ठाकुर द्वारा शाल-श्रीफल भेंटकर उनका सम्मान किया गया। वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रकाश मित्तल, विवेक शर्मा, राजेश मिश्रा, दिनेश राज, नागेन्द्र श्रीवास ने स्मृति चिन्ह भेंट किया व वरिष्ठ पत्रकार विजय खेत्रपाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।