लंदन। एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि हारमोन को नियंत्रित करने वाली एक दवा सार्स कोव-2 से निपटने में कारगर हो सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिलवेनिया के अबरामसन कैंसर सेंटर के शोधकर्ताओं का यह नया प्रीक्लीनिकल अध्ययन दर्शाता है कि कैसे एंटी एंड्रोजन दवा उन विशेष रिसेप्टर को नष्ट कर देती हैं जिनकी मानव कोशिकाओं पर वायरल हमला करने में जरूरत होती है। हारमोन की दवाएं एंड्रोजन के स्तर को कम कर देती हैं जिससे कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को कम करने में मदद मिलती है
।वायरस स्पाइक प्रोटीन का उपयोग कर ही कोशिकाओं को संक्रमित करता है। शोध बता रहा है कि ये दवाएं इस तरह से कोविड-19 बीमारी को बढ़ने से रोकने में मदद करती हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि कैसे एसीई2 और टीएमपीआरएसएस2 नाम के दो रिसेप्टर एंड्रोजन हारमोन द्वारा नियंत्रित होते हैं। एसीई2 और टीएमपीआरएसएस2 रिसेप्टर का उपयोग कर ही सार्स कोव-2 कोशिकाओं में प्रवेश करने में सफल हो पाता है। चिकित्सकीय तौर पर प्रमाणिक इनहिबिटर कैमोस्टैट और दूसरी एंटी एंड्रोजन थेरेपी से इन रिसेप्टर को रोक कर वायरस का प्रवेश और शुरुआत में ही उसकी प्रतिकृतियां बनने से रोका जा सकता है। इस पड़ताल से ना केवल वायरस के आणविक स्तर की ज्यादा जानकारी मिलती है, बल्कि कोविड-19 संक्रमण के इलाज के लिए एंटी एंड्रोजन थेरेपी के उपयोग को भी समर्थन मिलता है।
ये थेरेपी फिलहाल क्लीनिकल ट्रायल के स्तर पर जांची जांची जा रही हैं और उन्होंने भी आशाजनक नतीजे दिए हैं।एंड्रोजन हारमोन मानव में वृद्धि और प्रजनन के लिए जिम्मेदार होते हैं। आमतौर पर इसे पुरुष हारमोन माना जाता है लेकिन वह नर और मादा दोनों ही रीढ़धारी जीवों में पाया जाता है। यह मुख्यतया जीवों में नर गुणओं को कायम रखने का काम करता है। टेस्टोस्टेरोन एक प्रमुख एंड्रोजन माना जाता है। पड़ताल से यह भी पता चला है कि कोविड-19 बीमारी महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में ज्यादा गंभीर क्यों होती है जिनमें बहुत कम एंड्रोजन स्तर होते हैं।
शोधकर्ताओ का कहना है कि उन्होंने इस बात के पहले प्रमाण दिए हैं कि एंड्रोजन को नियंत्रित करने वाला टीएमपीआरएसएस2 रिसेप्टर के साथ एसीई2 भी इस हारमोन से सीधे नियंत्रित होता है। उन्होंने यह भी दर्शाया कि कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए सार्स कोव-2 स्पाइक इन दोनों रिस्पेटर पर निर्भर होती हैं और उन्हें मौजूदा दवाओं से रोका जा सकता है। बता दें कि पिछले डेढ़ साल से दुनिया के तमाम चिकित्सा शोधकर्ता कोविड-19 का इलाज तलाश रहे हैं। इसमें अभी तक कितनी सफलता मिली इस पर भी विचार करने की जरूरत है। वैक्सीन में तो काफी हद तक हमारे वैज्ञानिकों को सफलता मिली है, पर दवा के मामले में ऐसा नहीं कहा जा सकता।