कोरबा राष्ट्र की कोयला आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कोल इंडिया और उसकी सहायक कंपनियां काम कर रही है। कंपनी ने अपने कर्मचारियों के साथ-साथ उनके परिजनों को सामाजिक संरक्षण की गारंटी दी है। इसी में नियम है कि सेवा काल दौरान किसी कर्मी की मृत्यु होने पर उसके एक पात्र आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए। जिले में अनुकंपा नियुक्ति के कई मामलों में फाइलें बार-बार लौटाई जा रही है। इससे आवेदक हलाकान हैं। साथ ही कार्मिक विभाग के रवैये को लेकर नाराजगी बढ़ती जा रही है।
अधिकतम 4 से 6 महीने का समय इस प्रक्रिया में लगता है, इस तरह के दावे जानकार कहते हैं। स्थापना संबंधी कार्यों से वास्ता रखने वाले कार्मिक विभाग ने इसके लिए नियम बना रखे हैं जो कोल इंडिया की सभी कंपनियों में एक जैसे हैं। इसके अंतर्गत सेवाकाल के अंतर्गत किसी भी परिस्थिति में कार्मिक की मृत्यु होने पर उसके आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति दी जाती है ताकि उसके परिवार की जीविका बेहतर ढंग से चलती रहे। अकेले कोरबा जिले में अनुकंपा नियुक्ति के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ये मामले उन कर्मचारियों से संबंधित बताए जाते हैं जिनकी मृत्यु बीते वर्षों में हो गई। कोरबा, कुसमुंडा, गेवरा और दीपका विस्तार क्षेत्र की परियोजनाओं और दूसरे कार्य स्थलों पर नियोजित कर्मचारियों की मृत्यु होने पर प्रमाण पत्र, पुलिस रिपोर्ट से लेकर नामांकन और दूसरी कार्यवाही के साथ-साथ कई बंच में नोटरी से प्रमाणित दस्तावेज अगली प्रक्रिया के लिए शामिल किये जा चुके हैं। आवेदकों ने ऐसे प्रकरणों में अगली कार्यवाही समय पर पूरी कराने के लिए यथा समय अधिकारियों और कर्मचारियों से जरूरी मार्गदर्शन भी लिया। इन सबके बावजूद स्थिति यह है कि एक बार आगे भेजी गई फाइल फिर से लौटकर आ रही है। इसमें कई तरह की खामियां निकाले जाने से आवेदक हलाकान हो रहे हैं। उनका सवाल है कि जब एसईसीएल का विभागीय अमला अपने स्तर पर प्रक्रियाओं को पूरा करता है और अधिकारियों के हस्ताक्षर से फाइल मूव करती है तो इसमें अड़चनें कैसे आ जाती है। सभी क्षेत्र और उनसे संबंधित उप क्षेत्रों में समस्याएं लगभग एक जैसी है। कोरबा क्षेत्र के सुराकछार उप परियोजना में कुछ मामले अनुकंपा नियुक्ति के लंबित हैं।