वॉशिंगटन । अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूस की भूमिका एक बार फिर से विवाद में आ गई है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का मानना है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने पिछले साल हुए राष्ट्रपति चुनाव के दौरान संभवत: डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन में प्रचार अभियान चलाने में मदद करने का आदेश दिया था। एक सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस ने बाइडेन की जीत के बाद 'भ्रामक और बिना सबूत के आरोप लगाए थे।
हालांकि खुफिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि किसी भी विदेशी सरकार ने अंतिम परिणामों को प्रभावित नहीं किया था। उधर, रूस अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप के आरोप को लगातार खारिज करता रहा है। नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर के ऑफिस की ओर से जारी 15 पन्ने की रिपोर्ट में कहा गया है कि 'यह रूस और ईरान की ओर से चलाया गया चुनाव प्रभावित करने का अभियान' था। रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस से जुड़े व्यक्तियों ने 3 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले बिना तथ्य की सूचनाएं फैलाईं। इन फर्जी सूचनाओं को फैलाने का उद्देश्य पूरी चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करना था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि रूसी खुफिया सेवा से जुड़े कुछ लोगों ने मीडिया संगठनों में बाइडेन विरोधी सूचनाओं को फैलाया। चुनाव में बाइडेन ने ट्रंप को मात दे थी और 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद ग्रहण किया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां रूस ट्रंप की दोबारा जीत की संभावनाओं को बढ़ाना चाहता था, वहीं ईरान ने उनके समर्थन को कम करने के लिए 'कई तरह के गोपनीय अभियान' चलाए थे। ट्रंप ने राष्ट्रपति रहने के दौरान ईरान पर अधिकतम दबाव बनाने की नीति का पालन किया था। उन्होंने ईरान के खिलाफ कई प्रतिबंध लगाए थे जिससे दोनों देशों के बीच जुबानी जंग तेज हो गई थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चुनाव के दौरान चीन ने कोई भूमिका नहीं निभाई।