वाशिंगटन । वैज्ञानिकों के मुताबिक, रूस ने जितनी तेजी के साथ वैक्सीन तैयार करने की घोषणा की है, उसे लेकर संदेह उठता है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रॉजेनेका, मॉडर्ना और फाइजर जैसे संस्थानों के वैज्ञानिक का मानना है कि रूस के शॉर्टकट से सेहत को खतरा हो सकता है। वैज्ञानिकों का तर्क है कि वैक्सीन के मनुष्यों पर ट्रायल में कई वर्ष लगते हैं, जबकि रूस ने ये दो महीने से भी कम में किया है। यूनाइटेड हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज के सचिव एलेक्स अजर ने कहा, वैक्सीन का सुरक्षित होना सबसे अहम है न कि सबसे पहले बनाना। ट्रायल के आंकड़े पारदर्शी तरीके से पेश से उसकी सुरक्षा और असर का पता लगेेगा। जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के ग्लोबल पब्लिक हेल्थ लॉ एक्सपर्ट लॉरेंस गोस्टिन ने कहा, रूस के शॉर्टकट मारकर वैक्सीन लाने से वह कारगर नहीं होगी और न ही सुरक्षित।
टीके की सुरक्षा जांच जरूरी: डब्ल्यूएचओ
डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता तारिक जसारविक ने कहा कि वैक्सीन को अनुमति देने से पहले असर और सुरक्षा को जांचा जाता है उसके बाद ही निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है। वैक्सीन का ट्रायल 18 जून को 38 लोगों पर शुरू हुआ था। पहले समूह के लोगों को 15 और दूसरे समूह के लोगों को 20 जुलाई को डिस्चार्ज किया गया।
सभी मानकों पर खरी: पुतिन
पुतिन ने कहा मुझे पता है ये वैक्सीन अच्छा असर करेगी, मजबूत इम्यूनिटी बनाएगी। वैक्सीन सभी सुरक्षा मानकों पर खरी उतरी है। जल्द ही बड़ी संख्या में उत्पादन होगा फिलीपीनी राष्ट्रपति ने कहा कि रूस की वैक्सीन पर मुझे पूरा भरोसा है। मैं खुद स्वेच्छा से सबसे पहले जनता के बीच इसे लगवाऊंगा।