कोरबा स्कूली कक्षाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थियों में वैज्ञानिक सोच, नवाचार, सृजनात्मकता में वृद्धि के लिए सैद्धान्तिक ज्ञान के साथ-साथ, प्रायोगिक ज्ञान भी जरूरी होता है। प्रायोगिक ज्ञान को स्कूली बच्चे स्वयं प्रायोगिक कार्य करके सीखते हंै तभी विद्यार्थियों में विज्ञान एवं पर्यावरण विषय के प्रति रुचि उत्पन्न होती है। इस वर्ष कोरोना महामारी के दौर में, जहां विद्यालय के पट बंद हैं। विद्यार्थियों को शिक्षा विभाग द्वारा सैद्धान्तिक ज्ञान ऑनलाइन कथाओं के माध्यम से प्रदान किया जा रहा है। किंतु प्रायोगिक ज्ञान, करके सीखने से ही संभव है। विद्यार्थियों की कुछ नवीन करने की ललक को शांत करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी श्री सतीश पाण्डेय के मार्गदर्शन एवं मोटिवेशन से हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी के शिक्षकों एवं प्राचार्यो द्वारा विद्यार्थियों के लिए कार्य योजना बनाई गई है। जिसमें पालकों से सहमति पत्र लेकर एवं शाला प्रबंध समिति के सहमति से कक्षा 10वीं एवं 12वीं के विद्यार्थियों को आठ से 10 के समूहों में विद्यालय परिसर में बुलाया जा रहा है एवं प्रायोगिक कार्य कराया जा रहा है। जिला शिक्षा अधिकारी श्री पाण्डेय ने बताया कि जिले के सभी 179 विद्यालयों में प्रायोगिक कार्य कराया जा रहा है। सभी व्याख्याता स्व स्फूर्त होकर विद्यालय आकर प्रायोगिक कार्य करा रहे हैं। विद्यार्थी भी अत्यंत उत्साह के साथ अध्यापन, शंका समाधान कक्षाएं, एवं प्रायोगिक कार्य कर रहे हैं। इससे पिछले छह-सात माह में जो स्थिरता का भाव विद्यार्थियों में उत्पन्न हो गया था उससे वह बाहर निकल कर अपनी ज्ञान में वृद्धि कर रहे हैं। विद्यार्थीगण अपनी परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहे हैं। गत वर्ष जिले का परीक्षा परिणाम लगभग आठ अनुपात बढ़ा था इस वर्ष कोविड के बाद भी बेहतर परिणाम की सम्भावना है। शत प्रतिशत परिणाम देने वाले व्याख्याताओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जिले के स्वपहली व्याख्याता, प्राचार्य अपने छात्र-छात्राओं का सर्वांगीण विकास कर रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी सतीश पाण्डेय ने सभी विद्यालयों के व्याख्याताओं एवं प्राचार्यो को इस वर्ष बेहतर परिणाम देने का आग्रह करते हुए शुभकामनाएं दी है।
*जिला शिक्षा विभाग के प्रयासों से छात्रों में नवाचार एवं सृजनात्मकता का हो रहा विकास
कोरबा स्कूली कक्षाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थियों में वैज्ञानिक सोच, नवाचार, सृजनात्मकता में वृद्धि के लिए सैद्धान्तिक ज्ञान के साथ-साथ, प्रायोगिक ज्ञान भी जरूरी होता है। प्रायोगिक ज्ञान को स्कूली बच्चे स्वयं प्रायोगिक कार्य करके सीखते हंै तभी विद्यार्थियों में विज्ञान एवं पर्यावरण विषय के प्रति रुचि उत्पन्न होती है। इस वर्ष कोरोना महामारी के दौर में, जहां विद्यालय के पट बंद हैं। विद्यार्थियों को शिक्षा विभाग द्वारा सैद्धान्तिक ज्ञान ऑनलाइन कथाओं के माध्यम से प्रदान किया जा रहा है। किंतु प्रायोगिक ज्ञान, करके सीखने से ही संभव है। विद्यार्थियों की कुछ नवीन करने की ललक को शांत करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी श्री सतीश पाण्डेय के मार्गदर्शन एवं मोटिवेशन से हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी के शिक्षकों एवं प्राचार्यो द्वारा विद्यार्थियों के लिए कार्य योजना बनाई गई है। जिसमें पालकों से सहमति पत्र लेकर एवं शाला प्रबंध समिति के सहमति से कक्षा 10वीं एवं 12वीं के विद्यार्थियों को आठ से 10 के समूहों में विद्यालय परिसर में बुलाया जा रहा है एवं प्रायोगिक कार्य कराया जा रहा है। जिला शिक्षा अधिकारी श्री पाण्डेय ने बताया कि जिले के सभी 179 विद्यालयों में प्रायोगिक कार्य कराया जा रहा है। सभी व्याख्याता स्व स्फूर्त होकर विद्यालय आकर प्रायोगिक कार्य करा रहे हैं। विद्यार्थी भी अत्यंत उत्साह के साथ अध्यापन, शंका समाधान कक्षाएं, एवं प्रायोगिक कार्य कर रहे हैं। इससे पिछले छह-सात माह में जो स्थिरता का भाव विद्यार्थियों में उत्पन्न हो गया था उससे वह बाहर निकल कर अपनी ज्ञान में वृद्धि कर रहे हैं। विद्यार्थीगण अपनी परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहे हैं। गत वर्ष जिले का परीक्षा परिणाम लगभग आठ अनुपात बढ़ा था इस वर्ष कोविड के बाद भी बेहतर परिणाम की सम्भावना है। शत प्रतिशत परिणाम देने वाले व्याख्याताओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जिले के स्वपहली व्याख्याता, प्राचार्य अपने छात्र-छात्राओं का सर्वांगीण विकास कर रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी सतीश पाण्डेय ने सभी विद्यालयों के व्याख्याताओं एवं प्राचार्यो को इस वर्ष बेहतर परिणाम देने का आग्रह करते हुए शुभकामनाएं दी है।