वाशिंगटन । ब्रह्माण्ड के बारे में नई पद्धतियों से किए गए अध्ययन में हमारी गैलेक्सी मिल्की वे के बनने के समय को लेकर नए प्रमाण पाए हैं। इसमें मिल्की वे के एक प्रमुख उप गैलेक्सी से विलय की घटना की जानकारी भी शामिल है। शोधकर्ताओं ने तुलनात्मक रूप से नई खगोलीय पद्धितियों का उपयोग किया जिसे वे हमारी गैलेक्सी में मौजूद सौ से भी ज्यादा तारों की अब तक की सबसे सटीक उम्र का अनुमान लगा सके। इस नए और उसके साथ दूसरे आकड़ों के आधार पर शोधकर्ताओं ने दर्शाया कि क्या हुआ था जब मिल्की वे गैलैक्सी उसका चक्कर लगाने वाली उप गैलेक्सी से विलय हुआ था।
इस गैलेक्सी का नाम गीगा एनक्लॉडस है और यह विलय 10 अरब साल पहले हुआ था। ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर कॉस्मोलॉजी एंड एस्ट्रोपार्टिकल फिजिक्स में फेलो और इस अध्ययन के सहलेखक फियोरेन्जो निसेन्जो ने बताया कि उनके प्रमाण सुझाते है कि जब यह विलय हुआ था तब मिल्की वे ने पहले ही बड़ी तादात में तारों का निर्माण कर लिया था। हमारी गैलेक्सी के बहुत सारे तारे मोटी तश्तरी के बीच में आ गए हैं जबकि ज्यादातर गीगा एनसेलॉडस से पकड़े गए तारे गैलेक्सी के बाहरी हालो में पाए जाते हैं। इस अध्ययन की अगुआई करने वाली और यूके की बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ फिजिक्स एंड एस्ट्रोलॉजी की जोसेफीना मोटाल्बेन का कहना है कि इससे पहले माना जाता था कि मिल्की वे के इतिहास में गीगा एनसेलॉडस का बहुत अहम स्थान है। इसका हमारी गैलेक्सी को आकार देने में अहम योगदान माना जाता है। तारों की उम्र की गणना कर शोधकर्ता पहली बार यह पता कर सके कि गीगा एनसेलॉडस से आए तारों और मिल्की वे के अधिकांश तारों की उम्र या तो एक सी है या वे मिल्की वे के तारों से थोड़े युवा हैं। अध्ययन से पता चला कि इस प्रचंड विलय के कारण गैलेक्सी में पहले से मौजूद तारों की कक्षा में बदलाव आया उनकी कक्षा ज्यादा असामान्य हो गई।
शोधकर्ताओं ने तारों की गतिविधियों की तुलना गीगा एनसॉलिडस के उनकी तारों की गतिविधि से की जो मिल्की से अलग पैदा हुए थे। ये तारे उनसे बहुत अलग थे जो मिल्की वे में पैदा हुए थे। इसकी रासायनिक संरचना भी बहुत अलग थी। इसके लिए उन्होंने अलग तरीके और स्रोत वाले आंकड़ों का उपयोग किया।तारों की सटीक उम्र का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने एस्ट्रोसीज्मोलॉजी का उपयोग किया। यह एक नया क्षेत्र है जहां तारों की आंतरिक संरचना का अध्ययन होता है। इसमें तारों के स्पंदन या कंपन का अध्ययन किया जाता है। ये स्पंदन या कंपन वे ध्वनि तरंगे हैं जो तारों के अंदर से आती हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे वे तारों की सटीक उम्र का अनुमान लगा सके। तारों ने एपोजी नामके स्पैक्ट्रोस्कोपिक सर्वे का भी उपयोग किया जो तारों की उम्र बताने एक अन्य तरीका है। शोधकर्ताओं को लगता है कि ये दोनों तकनीकों का मिश्रण तारों की सटीक उम्र पता करने की लिए बहुत कारगर है।