कनाडा में रहने वाले भारतीयों की बढ़ सकती है मुश्किल, ट्रूडो के बनाए कूटनीतिक विवाद से बढ़ा खतरा, 5 पॉइंट में जानें

Updated on 21-10-2024 01:57 PM
ओट्टावा: कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार के भारत के साथ कूटनीतिक विवाद इस उत्तर अमेरिकी देश में रहने वाले भारतीय अप्रवासियों के लिए मुश्किल बढ़ा सकता है। विवाद के चलते कनाडा में भारतीय कामगारों और छात्रों के लिए वीजा प्रक्रिया, अप्रवास मार्ग और अवसर बाधित होने का खतरा है। ट्रूडो की लिबरल पार्टी के समर्थन में लगातार गिरावट देखी गई है। ऐसे में उनकी सरकार अपनी छवि सुधारने के लिए भारत के खिलाफ कट्टर रुख बनाए रख सकती है, जिसका असर वहां रहने वाले भारतीय कामगारों पर पड़ने का खतरा है।

1- भारतीय कामगारों पर असर


कनाडा के स्किल्ड वर्कफोर्स में भारतीय कामगारों का बड़ा हिस्सा है। खासतौर पर आईटी, स्वास्थ्या सेवा, इंजीनियरिंग और वित्त जैसे क्षेत्रों में। पिछले कुछ वर्षों में भारत के अनुभवी पेशेवरों के लिए कनाडा शीर्ष गंतव्य बन गया है। लेकिन कूटनीतिक विवाद के चलते दोनों देशों के बिगड़ते संबंध इसे प्रभावित कर सकते हैं। कनाडा ने हाल में ही अपनी आव्रजन नीतियों में बदलाव किया है, जिसमें विदेशी अप्रासियों की संख्या को घटाने का लक्ष्य रखा गया है।

2- वीजा और वर्क परमिट


दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद का भारतीय कामगारों पर अभी असर सीमित रहा है। लेकिन गतिरोध लंबे समय तक चलता है तो वर्क परमिट, वीजा नवीनीकरण और स्थायी निवास के आवेदनों की प्रक्रिया में देरी हो सकती है। आवेदनों के निपटारे की प्रक्रिया का समय बढ़ सकता है और सख्त जांच लागू की जा सकती है।

3- भावी अप्रवासियों के लिए संकट


कूटनीतिक विवाद के चलते भावी अप्रवासियों या वर्क परमिट की प्रतीक्षा कर रहे लोगों को वीजा मंजूरी के मामले में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। यदि संबंध खराब होते रहे तो कनाडा भारतीय श्रमिकों पर सख्त नियंत्रण लगा सकता है, जिससे देश में पेशेवरों का आगमन बाधित हो सकता है।

4- भारतीय छात्रों पर असर


कनाडा में भारतीय छात्रों की बड़ी आबादी है, क्योंकि यह भारतीय छात्रों के लिए एक प्रमुख गंतव्य बन गया है। 2023 तक लगभग 320,000 भारतीय छात्र कनाडा के विश्वविद्यालय में नामांकित हैं। राजनयिक तनाव के चलते छात्र वीजा मंजूरी में देरी हो सकती है। हालांकि, इस बात का कोई संकेत नहीं है कि भारतीय छात्रों को सीधे तौर पर खारिज कर दिया जाएगा, लेकिन तनाव प्रवेश प्रक्रियाओं में देरी का कारण बन सकती है।

5- व्यापार और द्विपक्षीय समझौते


यदि राजनयिक तनाव जारी रहता है, तो भारतीय और कनाडाई कंपनियों से जुड़े व्यावसायिक आदान-प्रदान, संयुक्त उद्यम और कॉर्पोरेट भागीदारी धीमी हो सकती है। इससे आईटी, दूरसंचार और परामर्श जैसे क्षेत्रों में कनाडाई कंपनियों के लिए काम करने वाले भारतीय पेशेवरों के लिए नौकरी के अवसर कम हो सकते हैं। भारत और कनाडा व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) पर भारत और कनाडा चर्चा कर रहे थे, उसे रोका जा सकता है।

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