बीजिंग । चीन के अमीर कारोबारियों के लिए यहां रहना दूभर होता जा रहा है कियोंकि सरकार के सख्त रवैये के चलते यबा हालात अनके लिए काफी मुश्किल होते जा रहे हैं। हालांकि चीन में उदारीकरण की अपनाई गई नीति का सबसे ज्यादा लाभ बेशक धनी लोगों ने उठाया लेकिन हाल में चीन सरकार ने टेक्नालॉजी और बिजनेस सेक्टर पर ऐसा शिकंजा कसा है कि धनी लोग सरकारी निगरानी में आ गए हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार झेनजियांग में रहने वाले एक विदेशी ट्रेडिंग फर्म के सीनियर एग्जिक्युटिव केन लिउका कहना है कि चीन में अचानक किसी सेक्टर में नीतियां बदल सकती हैं। कारोबारियों को नई नीतियों के मुताबिक एडजस्ट करना पड़ता है। इस कारण सबको इस बारे में फिर से सोचना पड़ रहा है कि भविष्य में उनके पास कितना धन रह जाएगा और अपनी जायदाद को वे कैसे बचा सकते हैं। जिस तरह निजी उद्यमियों के प्रति सरकार का नजरिया बदल रहा है, उससे उनकी चिंता बढ़ती जा रही है।
हालांकि चीन के रईस ज्यादातर अपना देश छोड़कर कहीं और जा बसना पसंद करते हैं और यह सिलसिला कोई नया भी नहीं है लेकिन 2020 से यहां के बेहद अमीर लोग अब अजीब दुविधा में फंसे हुए हैं। इन अमीरों के लिए यह तय करना मुश्किल हो गया है कि वे अपनी जान बचाएं या अपना धन और सम्पत्ति को बचाएं। पहले चीन के कई धनी लोग किसी दूसरे देश में निवास का परमिट ले लेते थे। साथ ही वे चीन की नागरिकता बचाए रखते थे। इससे उन्हें अपनी वित्तीय संपत्तियों को बाहर ले जाने और किसी एक अन्य देश में निवास की आश्वस्ति मिल जाती थी, लेकिन कोरोना महामारी ने स्थिति को जटिल बना दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक शेनझन निवासी वेंडी झाओ और उनके पति दो करोड़ युवान यानी लगभग 30 लाख डॉलर या 21,94,27,625 भारतीय रुपए की संपत्ति के मालिक हैं। अभी पति-पत्नी में इस बात पर विवाद चल रहा है कि वे यहीं रहें या न्यूजीलैंड जाकर अपनी जिंदगी को नए सिरे से शुरू करें। वेंडी ने कहा- ‘हमारा आव्रजन आवेदन न्यूजीलैंड में मंजूर हो गया है, लेकिन मैं वहां महामारी को लेकर चिंतित हूं। मेरी राय में चीन ने कोरोना महामारी पर काबू पाने में अच्छी सफलता हासिल की है। फिर चीन अकेला देश है जिसकी अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो रही है इसलिए मैंने बाहर जाने का इरादा फिलहाल छोड़ दिया है लेकिन मेरे पति सोचते हैं कि हमें संपत्तियों का बाहर ले जाने का काम जल्द से जल्द शुरू कर देना चाहिए। चीन के अमीर लोगों को विदेशों में जाकर बसने में मदद करने वाले एजेंटों का कहना है कि हाल में देश से बाहर जाने के बारे में जानकारी इकट्ठी करने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई है। बहुत से अमीर चीनी जल्द से जल्द दुनिया के किसी भी दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त करना चाहते हैं ताकि वे अपनी जायदाद और नकदी को जल्द वहां भेज सकें। जिन देशों का पहले नाम भी नहीं सुना जाता था, वहां की नागरिकता पाने की कोशिश इन दिनों तेज हो गई है। मोंटेनेगरो, मार्शल आइलैंड्स, सेंट लुसिया आदि जैसे छोटे देश इनमें शामिल हैं।
वर्षों से जिन देशों से अति धनी लोग विदेश जाकर बसते हैं, उनमें चीन नंबर वन रहा है। दस लाख अमेरिकी डॉलर से ज्यादा संपत्ति वाले लोगों को अति धनी लोगों में रखा जाता है। हाल में अफ्रो-एशिया बैंक की तरफ से तैयार ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू रिपोर्ट में बताया गया कि 2018 में 15 हजार अति धनी चीनियों ने देश छोड़ दिया। यानी देश की अति धनी लोगों की कुल आबादी का दो फीसदी हिस्सा विदेश जाकर बस गया। 2019 में विदेश जाकर बसे ऐसे चीनियों की संख्या हजार से ज्यादा रही। अति धनी चीनियों की सबसे पसंदीदा कनाडा और यूरोप हैं। चीन के एक करोड़ सात लाख लोग विदेशों में रह रहे हैं। इस मामले में चीन भारत और मेक्सिको के बाद तीसरे नंबर पर है। भारत के एक करोड़ 75 लाख और मैक्सिको के एक करोड़ 18 लोग बाहर जाकर बस चुके हैं।