बिलासपुर । ग्राम पंचायत हिंडाडीह में स्थापित हिन्द एनर्जी कोलवासरी प्रबंधन एवं कोलवासरी प्रभावित किसानो, ग्रामीणों सहित आसपास के ग्रामीणों के बीच एक बार फिर बैठक आयोजित किया गया है इस बैठक में कोलवासरी प्रभावितों की मांगो को लेकर वासरी प्रबंधन के बीच आपसी सहमति बनाने के लिए सीपत थाना के पास बैठक का आयोजन किया गया है इस बैठक में कोलवासरी प्रभावित ग्रामीण, वासरी संचालक, मस्तूरी एसडीएम, सीपत तहसीलदार उपस्थित रहेंगे।
हिंडाडीह के ग्रामीणों का इस बैठक को लेकर कहना हैं कि हिन्द एनर्जी कोलवासरी भूविस्थापित किसानो, ग्रामीणों को सही मुआवजा नहीं मिलने, बेरोजगारो को रोजगार सहित अन्य मांगो के संबंध में कोलवासरी के सामने विरोध करने पहुचे ग्रामीणों एवं सीपत तहसीलदार की मौजूदगी में आपसी सहमति हेतु 22 जनवरी को सीपत थाना के पास बैठक आयोजित की हैं, जिसमे सभी ग्रामीण, वासरी संचालक ,मस्तूरी एसडीएम, सीपत तहसीलदार की बैठक रखी गई हैं,जिसमें प्रभावित ग्रामीणों की जायज मांग के संबंध में चर्चा की जाएगी एवं मांग को पूर्ण करने आपसी सहमति व मांगे पूर्ण हेतु विचार विमर्श का मुख्य मुद्दा रहेगा जिसमे भारी संख्या में प्रभावित ग्रामीण मौजूद रहेंगे। ज्ञात हो कि हिन्द कोलवासरी ग्राम पंचायत हिंडाडीह में वर्ष 2007-08 से संचालित है, हिन्दवासरी के स्थापना के पूर्व सरपंच आसपास के ग्रामीणजन, जनप्रतिनिधिगण, तहसीलदार, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, थाना प्रभारी सहित हिन्द कोलवासरी प्रबंधन के बीच व उपस्थिति में वर्ष 2007 में कई बिन्दुओ पर अनुबंध हुआ है लेकिन अनुबंध का पालन आज पर्यंत तक नहीं किया जा रहा है। हिन्द कोलवासरी हिंडाडीह के प्रभावित किसान, ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों एवं आसपास के वरिष्ठजनो ने पंचायत प्रस्ताव, अनापत्ति प्रमाणपत्र, जनसुनवाई, क्षमता विस्तार की जनसुनवाई में कैमाडीह, खांडा, बिरगहनी, गतौरा में लोगो ने बढ-चढ़कर वासरी प्रबंधन के पक्ष में हिस्सा लिया, जब हिन्द कोलवासरी प्रारंभ हुआ तब से आसपास के लोगो को कई तरह से क्षति हुई जिसमें शुद्ध हवा, ध्वनि, जल प्रदूषण व्यापक पैमाने पर हो रहा है, क्षेत्र के तालाब सहित ग्रामीणों के घरो में काला धुल व् धुँआ ने घर कर लिया है जिसके चलते बीमारी फ़ैल रहा है जिसे ग्रामीणों द्वारा सहन किया जा रहा है। हिन्द कोलवासरी हिंडाडीह में स्थापित है लेकिन दुर्भाग्य है कि वासरी के आरम्भ से लेकर अब तक तकऱीबन 100 से भी ज्यादा ग्रामीणों को जो वासरी में कार्यरत थे उन्हें काम से बाहर कर दिया गया है वही केवल 17 ग्रामीण ही वासरी में कार्यरत है जिसकी जानकारी मांगे जाने पर हिन्द कोलवासरी प्रबंधन द्वारा दिया गया है जबकि प्लांटो में प्रभवित ग्राम पंचायत के ग्रामीणों को प्राथमिकता देते हुए ज्यादा से ज्यादा काम पर रखा जाता है। हिन्द कोलवासरी द्वारा नियमो को ताक में रखकर कोटवारी जमीन 91 एकड़ 35 डिसमिल जमीन पर अवैध रूप सेकब्जा किया गया है जिसका विगत कई वर्षो से प्लांट में उपयोग किया जा रहा है जिसके सीमांकन के लिए हिंडाडीह कोटवार द्वारा आवेदन पूर्व में राजस्व विभाग को किया गया था लेकिन इस जमीन का सीमांकन नहीं किया गया है। इसी तरह वर्ष 1991-92 जिसका खसरा न. 47 में कुल 4.80 एकड़ /1.944 हे. जमीन था जोकि वर्ष 2007-08 के नकल में खसरा न. 47 जमीन 2.944 हे. जमीन बढ़कर 01 हे. जमीन पवन अग्रवाल पिता एस.आर.अग्रवाल, राजीव पिता रामचंद्र, सतीश पिता अर्जुन लाल के नाम पर दर्ज बताया जा रहा है जिसकी निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। हिन्द कोलवासरी की मनमानी के चलते हिंडा डीह एवं आसपास के ट्रांसपोर्टर व अन्य वाहन मालिक पूर्णरूप से बर्बाद हो गए है, हिन्द कोलवासरी प्रबंधन द्वारा वीआरएल कंपनी को 80-90 हाईवा वाहन प्रदत्त किये गए थे, 5-6 वर्ष पूर्व वासरी को लगभग 11 करोड़ का वित्तीय घाटा हुआ था जिसके चलते हिन्द कोलवासरी प्रबंधन उक्त वाहनों को अपने कब्जे में लेकर व् विक्रय कर कंपनी के घाटे की भरपाई की थी जिसकी जानकारी स्थानीय ट्रांसपोर्टरो को भी है क्योकि उन वाहनों में से कुछ वाहन हिन्द कोलवासरी प्रबंधन द्वारा क्षेत्रीय ट्रांसपोर्टरो को दिया गया था जिसमे दिलेन्द्र कौशिल, रामबहोरन लाष्कर, संजय साहू सहित अन्य नाम शामिल है इन सभी का हिन्द कोलवासरी प्रबंधन द्वारा हिसाब-किताब के लिए बाकायदा रजिस्टर मेंटेन कराया जाता था जिसकी जांच में सत्यता का पूर्ण विवरण सामने आ जाएगा। हिन्द कोलवासरी द्वारा कोयला लोडिंग अनलोडिंग तौलने की मशीन (काँटा) में भी छेड़छाड़ किया जाता रहा है वही कोयले की चोरी भी की जाती रही है। ग्रामीणों नेबताया कि हिंडाडीह वासरी से मात्र कोयला लोडिंग का वजन 30 टन जिसे गतौरा में काँटा कराये जाने पर 30 टन से ज्यादा 500 से 700 किलो ज्यादा निकालता है लेकिन काँटा में बैठे कर्मचारी द्वारा कोयला का वजन कम तौला(काँटा सेटिंग) जाता है जबकि ट्रांसपोर्टरो को गाड़ी-भांडा 30 टन का ही दिया जाता है जो न्यायोचित नहीं है। इसी तरह बिरगहनी कोलवासरी 1 से ज्यादा वर्षो से उत्पादन बंद था लेकिन वहां के नाम से बहुत दिनों तक डीयो उठाया गया व उस डीयो का उपयोग बलौदा वासरी हिंडाडीह वासरी से जो अभी 4-5 माह का टोटल प्रतिदिन का ट्रान्सपोर्टरो के द्वारा परिवहन भांडा पर्ची की जांच करने से सच सामने आ जायेगा। हिन्द कोलवासरी द्वारा वाहन भांडा तय मानक के अनुसार कम दिए जाने की वजह से प्राय: सभी वाहन फायनेस कंपनी द्वारा सीज कर लिया गया तथा कुछ वाहनों स्वामियों ने किश्त अदा ना कर पाने की वजह से स्वयं ही वाहने बैंक को सौप दी जिसमे धनियाँ से 2, सोंठी से 1, गुड़ी से 2, कर्रा से 1, बिलासपुर से 2,सोंठी से 1, गुड़ी से 2, कर्रा से 1, बिलासपुर से 1, जांजी से 4, वही पार्टनर एनटीपीसी कर्मचारी सीपत पाण्डेय 1, सीपत 1, पंधी देवरी सोमधर दीवान 1 के नाम शामिल है।