टोक्यो । जापान यात्रा पर टोक्यो पहुंचे अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अपने जापानी समकक्षों रक्षा मंत्री नोबुओ किशि और विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोटोगी के साथ टू प्लस टू वार्ता मुख्य रूप से एशिया क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल और कोरोना महामारी की वजह से पैदा हुई सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों से निपटने के साझा उपायों पर केंद्रित रही।
बातचीत के बाद ब्लिंकन ने कहा कि क्षेत्र में लोकतंत्र और मानवाधिकार को चुनौती दी जा रही है। अमेरिका मुक्त और स्वतंत्र हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपने सहयोगियों के साथ मिलकर काम करेगा। ब्लिंकन ने कहा कि बाइडन प्रशासन अमेरिका के सहयोगियों और क्षेत्र में चीन तथा उसके सहयोगी उत्तर कोरिया से चुनौती महसूस करने वालों के साथ मिलकर काम करने को प्रतिबद्ध है। वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में मंत्रियों ने चीन के शिंजियांग प्रांत में मानवाधिकारों के उल्लंघन, दक्षिण चीन सागर में गैरकानूनी समुद्री क्षेत्र के दावों और गतिविधियों और पूर्वी चीन सागर में जापान के नियंत्रण वाले द्वीपों पर यथास्थिति को बदलने के एकतरफा प्रयास पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि चीन अगर अपने हित में जोर-जबरदस्ती और आक्रमकता अपनाता है तो जरुरत पड़ने पर हम उसे पीछे धकेलेगे।
गौरतलब है कि चीन पूर्वी चीन सागर में स्थित जापान के नियंत्रण वाले द्वीपों पर अपने हक का दावा करता है। बयान में ताईवान जलडमरुमध्य में भी शांति और स्थिरता के महत्व पर जोर दिया गया। बाइडन प्रशासन के कैबिनेट की पहली विदेश यात्रा के दौरान ब्लिंकन और ऑस्टिन अपने जापानी समकक्षों के साथ कोविड-19 महामारी, जलवायु परिवर्तन पर साथ मिलकर काम करने को जारी हुए। साथ ही दोनों पक्ष उत्तर कोरिया के परमाणु खतरे और म्यांमार में सैन्य तख्तापलट से उत्पन्न स्थिति पर भी सहयोग को राजी हुए।
अमेरिका के दोनों शीर्ष मंत्रियों के मंगलवार को जापान पहुंचने के तुरंत बाद उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन की बहन ने अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वह अगले चार साल तक शांति से सोना चाहता है तो उसे कोई बखेड़ा खड़ा नहीं करना चाहिए। किम यो जोंग का मंगलवार को आया बयान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन के लिए उत्तर कोरिया का पहला आधिकारिक बयान है। अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन ने जापानी मंत्रियों को अमेरिका आने का न्योता देने की जगह अपने दो शीर्ष मंत्रियों को जापान यात्रा पर भेजा है, जो एशियाई देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जापान अमेरिका के साथ अपनी साझेदारी को अपनी कूटनीतिक और रक्षा नीतियों की नींव का पत्थर मानता है।