लंदन । कोरोना से जूझ रही दुनिया के लिए अच्छी खबर आई है। जुआं मारने के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा से कोरोना से मरने वालों की संख्या को 80 फीसदी तक घटाया जा सकता है। इस चमत्कारिक दवा का नाम आइवरमैक्टिन है।दवा के इस्तेमाल से अस्पताल में कोरोना से मरने वालों की संख्या में 80 फीसदी की कमी आई है। अच्छी बात यह है कि जुआ मारने की दवा काफी सस्ती है। शोध के दौरान जिन 573 मरीजों को दवा आइवरमैक्टीन दी गई, उनमें से केवल 8 लोगों की मौत हुई। वहीं 510 लोगों को यह दवा नहीं दी गई,तब उसमें से 44 लोगों की मौत हुई। इससे पहले अप्रैल में आए शोध में कहा गया था कि परजीवियों से बचाने वाली दवा ने कोरोना से जंग में काफी अच्छा रिजल्ट दिया था। मात्र एक खुराक से 48 घंटे के अंदर सभी वायरल आरएनए खत्म हो गए थे।
नए शोध को कोरोना का इलाज तलाश करने की दिशा में बहुत शानदार बताया है। करीब 1400 मरीजों पर किए गए शोध पर आए डेटा को सार्वजनिक किया गया है। हालांकि अभी उनका शोध प्रकाशित होने से पहले समीक्षा के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि अगर यह ट्रेंड अन्य अध्ययनों में भी दिखाई दिया तो निश्चित रूप से यह इलाज काफी प्रभावी होने जा रहा है। उधर, आलोचकों ने हिल के अध्ययन के निष्कर्ष को अपरिपक्व करार दिया है। उन्होंने अपील की है कि आइवरमैक्टिन को कोरोना की दवा के रूप में घोषित करने से पहले और ज्यादा शोध की जरूरत है। आलोचकों ने कहा कि इससे पहले भी मलेरिया की दवा और कुछ अन्य दवाओं को लेकर दावे किए गए थे लेकिन वे सभी गलत साबित हुईं।