लंदन । कोरोना वायरस के डेल्टा वेरियंट भी खतरनाक है 'लांब्डा' वेरिएंट। इसको लेकर दुनियाभर में स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है। सी.37 के नाम से भी जाना जाने वाला यह वेरिएंट 14 जून को 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' घोषित किया गया था। मलेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि यह डेल्टा वेरिएंट से भी ज्यादा घातक साबित हो रहा है। पिछले चार हफ्तों के दौरान, 30 से भी ज्यादा देशों में 'लांब्डा' वेरिएंट मिला है। आइए कोरोना वायरस के इस वेरिएंट के बारे में अभी तक क्या पता है, वो जानते हैं।
'लांब्डा' वेरिएंट का पहला केस अगस्त, 2020 में पेरू से सामने आया। इसके ज्यादातर केस अभी साउथ अमेरिकन देशों- पेरू, चिली, अर्जेंटीना आदि में मिले हैं। 'लांब्डा' के स्पाइक प्रोटीन में बहुत सारे म्यूटेशंस हुए हैं जिससे इसकी संक्रामकता पर असर हो सकता है। हालांकि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, म्यूटेशंस को पूरी तरह समझने के लिए और रिसर्च की जरूरत है। चिंता क्यों बढ़ा रहा है यह वेरिएंट?पेरू में इस वेरिएंट ने कहर बरपा रखा है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, अप्रैल से पेरू में जितने मामले सामने आए हैं, उनमें से 81 प्रतिशत के पीछे यही वेरिएंट है। चिली में मई और जून के बीच पॉजिटिव मिले सैम्पल्स में से 31 फीसदी में यही वेरिएंट मिला है। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के अनुसार, यूके में इसके छह मामलों का पता चला है और सारे विदेशी यात्राओं से जुड़े हुए हैं। डर इस बात का है कि कहीं यह वेरिएंट अभी तक सामने आए वेरिएंट्स से ज्यादा संक्रामक और घातक तो नहीं है। जिस तरह से कुछ देशों में इसका प्रसार बढ़ा है, उसे देखते हुए इस दिशा में रिसर्च तेज कर दी गई है। कोरोना वायरस के बाकी वेरिएंट्स की तरह 'लांब्डा' को भी सिर्फ लक्षणों के आधार पर नहीं पहचाना जा सकता। लक्षण बाकी वेरिएंट्स जैसे ही हैं।
यूके के स्वास्थ्य अधिकारी कहते हैं कि अभी इस बात के सबूत नहीं हैं कि वैक्सीन कम असरदार है। अभी तक तो नहीं। हालांकि दुनियाभर में जिस तेजी से यह फैल रहा है, विदेशी यात्राओं को लेकर बेहद सावधान रहने की जरूरत है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय एयर ट्रेवल खोलने से 'लांब्डा' समेत कई नए वेरिएंट्स के भारत पहुंचने का खतरा है।ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा के मुताबिक, बुखार, लगातार खांसी आना, गंध और स्वाद न आना लक्षण हो सकते हैं। इनमें से कोई न कोई एक लक्षण मरीज में रहता है।डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि 'लांब्डा' वेरिएंट में संक्रामकता और ऐंटीबॉडीज के प्रति प्रतिरोध ज्यादा है। वैक्सीन से इस वेरिएंट से बचने में कितनी मदद मिलती है, इसपर रिसर्च की जरूरत है।