एक अध्ययन में सच आया सामने
लंदन। इंपीरियल कॉलेज लंदन के अध्ययन के मुताबिक यूरोप के 11 देशों में लॉकडाउन 99.9 फीसदी सफल रहने का दावा किया गया है। अध्ययन में सामने आया है कि इन सभी देशों में लॉकडाउन और अन्य गैर चिकित्सकीय प्रयासों से कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोक दिया गया। यह शोध भारत के संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि देश में लॉकडाउन के दौरान कोरोना का फैलाव लगातार जारी है, इसलिए लॉकडाउन को लेकर भारत में बहस छिड़ी हुई है। रिसर्च में दावा किया गया कि यूरोपीय देशों बेल्जियम, जर्मनी, स्वीडन, स्विट्जरलैंड , फ्रांस, इटली, स्पेन, ब्रिटेन, आस्ट्रिया, डेनमार्क और नार्वे में 1.20 करोड़ से लेकर 1.5 करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके थे जो यहां की आबादी का 3.2 से चार फीसदी है। मार्च के आखिर में इन देशों में लॉकडाउन या गैर चिकित्सकीय कदम उठाए गए, जैसे कहीं स्कूल बंद करना, धार्मिक स्थल बंद करना, सामाजिक दूरी, मास्क आदि का प्रयोग, उससे वहां काफी फायदा हुआ।
मई के पहले सप्ताह में इन देशों में लॉकडाउन में छूट दी गई है,लेकिन ये देश कोरोना के रिप्रोडक्शन रेट को एक फीसदी से नीचे ला चुके हैं। इसका मतलब है कि बीमारी काबू में है। इसी प्रकार यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया, बर्कले के अन्य अध्ययन के अनुसार छह देशों चीन,अमेरिका, दक्षिण कोरिया, इटली, ईरान और फ्रांस में कोरोना की रोकथाम के लिए लॉकडाउन समेत 1,717 उपायों का विश्लेषण किया गयाव पाया गया कि यदि ऐसा नहीं किया जाता तो चीन में बीमारी का प्रकोप 465 गुना, इटली में 17 गुना तथा अमेरिका में 14 गुना हो सकता था।शोध में दावा किया गया है कि इन 11 देशों में जितने मामले कोरोना के रिपोर्ट हुए हैं, उससे 10 गुना तक ज्यादा करीब डेढ़ करोड़ लोग पहले ही संक्रमित हो चुके थे। ये कदम नहीं उठाए जाते तो ये लोग बीमारी को दूसरे लोगों को भी फैलाते। क्योंकि बेल्जियम जैसे देशों में कोरोना का अटैक रेट सबसे ज्यादा 3.8 तक रिकॉर्ड किया गया। बीमारी वहां और भयावह रूप धारण कर सकती थी। इतना ही नहीं इससे 31 लाख लोगों की और मौतें हो सकती थीं।