नई दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई 41 कोयला ब्लॉकों की वर्चुअल नीलामी का मामला देश की सर्वोच्च अदालत में पहुंच गया है। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से इस नीलामी पर रोक लगाने की मांग की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 जून को कोयला ब्लॉकों की ऑनलाइन नीलामी की प्रक्रिया शुरू की थी। झारखंड सरकार की दलील है कि दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से कोयला खदानों का उचित मूल्य नहीं मिलेगा, इसके अलावा कोयला खदानों के व्यावसायिक खनन से आदिवासियों की जिंदगी प्रभावित होगी। झारखंड सरकार ने कहा है कि कोयला खनन का झारखंड की विशाल आबादी और वन भूमि पर सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव के निष्पक्ष मूल्यांकन की आवश्यकता है। राज्य सरकार के मुताबिक केंद्र के नीलामी के फैसले से इन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है। ज्ञात हो कि जिन कोयला खदानों की नीलामी होने वाली है, उनमें से कई झारखंड में स्थित हैं। केंद्र सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और औद्योगिक गतिविधियों में तेजी लाने के लिए कोयला खदानों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू की थी। इस नीलामी प्रक्रिया में देश के साथ-साथ विदेशी कंपनियां भी भाग ले सकेंगी। कोयला ब्लॉक खरीदने के लिए सरकार ने 100 फीसदी विदेशी निवेश की छूट दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा था कि अगर भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है तो कोयला का सबसे बड़ा निर्यातक क्यों नहीं बन सकते हैं। अब झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से केंद्रीय कोयला मंत्रालय द्वारा कोयला खदानों की प्रस्तावित नीलामी पर फिलहाल रोक लगाने की मांग की है।