पेरिस । ताजा अध्ययन से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन ने महासागरों स्थायित्व में बड़े बदलाव ला दिए हैं। इस अध्ययन से महासागरों की वैश्विक तापमान संतुलन करने वाली और समुद्री जीवन के लिए सहायक होने वाली भूमिका के लिए खतरा माना जा रहा है। हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में 50 साल के आंकड़ों का अध्ययन किया गया और यह पता लगाने का प्रयास किया गया कि महासागरों का सतही पानी खुद को गहरे समुद्र से अलग कैसे करता है। जलवायु परिवर्तन के महासगारों के मिश्रण की प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाया है। इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और फ्रांस के सीएनआरएस नेशनल साइंटिफिक रिसर्च सेंटर और सोर्बोन यूनिवर्सिटी के जीन बेप्तिस्ते सैले का कहना है कि जहां वैज्ञानिक इस प्रक्रिया से वाकिफ थे, उनकी टीम ने दर्शाया कि यह बदलाव पहले जितना समझा जा रहा था उससे कहीं ज्यादा तेज दर से हो रहा है। इस रिपोर्ट में 1970 से 2018 तक के वैश्विक तापमान और लवणता के अवलोकनों से मिले आंकड़ों का उपयोग किया गया। इटंरगवर्नमेंटल पैनल फॉर क्लाइमेट चेंज के मुताबिक महासागर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में महती भूमिका निभाते हैं। वे मानवजनित कार्बन डाइऑक्साइड की चौथाई अवशोषित करते हैं।
ग्रीन हाउस गैसों से उत्सर्जित 90 प्रतिशत ऊष्मा को अवशोषित करते हैं सैली का कहना है कि स्थायित्व लाकर महासागर जलवायु परिवर्तन के लिए एक बफर का काम करते हैं। लेकिन यह काम अब मुश्किल हो गया है। क्योंकि अब महासागरों के लिए कार्बन और ऊष्मा अवशोषित करना और मुश्किल हो गया है। वैज्ञानिक काफी समय पहले से जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के महासागरों पर हो रहे असर के दुष्परिणामों के बारे में चेता रहे हैं। 2019 के एक शोध में वैज्ञानिकों ने चेताया था कि सदी के अंत तक भार के अनुसार महासगारी जीव 5वां हिस्सा कम हो जाएगा।