लंदन । इजराइल के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि उन्होंने एक नए ही तरह का पुरातन मानव की हड्डियां खोज निकाली हैं। इस पुरातन मानव के बारे में विज्ञान को अब तक किसी तरह की कोई जानकारी नहीं थी। शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे मानव विकास के कालक्रम पर नई रोशनी पड़ सकती है। येरुशलम की हिब्रू यूनिवर्सिटी की टीम ने रामला शहर के पास पुरातत्व खुदाई वाले इलाके में प्रागैतिहासिक अवशेष मिले हैं जो होमो वंश के किसी भी प्रजाति से मेल नहीं खा रहे हैं। होमो वंश में आज के मानव यानि होमो सेपियन्स शामिल हैं।
इस अध्ययन में तेल अवीव यूनिवर्सिटी के मानव शास्त्री और पुरातत्वविद शामिल थे जिसकी अगुआई योसी जैदनर ने की थी। शोधकर्ताओं ने इस प्रजाति को इसकी हड्डियों के पाए जाने वाली जगह के आधार पर “नशेर रामला होमो टाइप” नाम दिया है। शोधकर्ताओं ने अपने बयान में बताया है कि यह पुरातन मानव 1।4 लाख साल से 1।2 लाख साल पहले रहा करते थे और नशेर रामला मानवों की आकृति निएंडरथॉल सहित अन्य पुरातन मानव से कई मामले में मिलती जुलती है। इसके साथ ही यह मानव आधुनिक मानव से काफी अलग है जिसमें खोपड़ी की संरचना अलग है, ठोड़ी गायब थी और उनके दांत काफी बड़े थे। पुरातत्वविद जैदनर ने बताया कि मानव अवशेषों के साथ शोधकर्ताओं को खुदाई में बड़ी मात्रा में जानवरों की हड्डियां और पत्थर के उपकरण मिले हैं। मानव जीवाश्म की पुरातत्व पड़ताल दर्शाती है कि नशेर रामला होमो उन्नत पाषाण उपकरण तकनीक से परिचित थे और उनका स्थानीय होमोसेपियन्स से भी अंतरक्रिया हुआ करती थी।
शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि होमोसेपियन्स के अलावा मानव इतिहास में इस काल और इस क्षेत्र में पुरातन होमो भी रहा करते होंगे। शोधकर्ताओं ने सुझाया है कि इजराइल में खोजे कुछ जीवाश्म 4 लाख साल पुराने समय के हैं। वे भी उसी प्रागैतिहासिक मानव के हो सकते हैं। नशेर रामला खोज ने उस प्रचलित धारणा पर सवाल उठाए हैं जिसके तहत माना जाता है कि निएंडरथॉल दक्षिण में जाने से पहले यूरोप में पनपे थे। तेल अवीव यूनिवर्सटी के मानवशास्त्री इजराइल हर्शकोविट्ज ने बताया कि उनकी पड़ताल बताती है कि यहां रहने वाली विशाल जनसंख्या में से पश्चिम यूरोप के मशहूर निएंडरथॉल ही बचे रह गए थे और इसके अलावा कोई और संभावना नहीं हैं।
वहीं तेल अवीव यूनिवर्सिटी के दंत चिकित्सक और मानवशास्त्री रचेल सारिग के अनुसार शोध सुझाता है कि इजराइल एशिया, अफ्रिका और यूरोप के बीच का रास्ता था जहां अलग अलग मानव जनसंख्याएं रहीं एक दूसरे से मिलकर एक हो गईं। बाद में यही मानव दुनिया में फैल गए। सारिग ने बताया कि नशेर रामला प्रकार के छोटे समूह यूरोप में विस्थापित हो गए होंगे जो बाद में निएंडरथॉल के रूप में विकसित हो गए होंगे। वहीं एशिया में भी इसी तरह की विशेषताओं वाले मानव के रूप में विकसित हो गए होंगे। बहराल अब मानव विज्ञान में मानव विकास क्रम में एक नई प्रजाति जुड़ जाएगी और उससे अन्य प्रजातियों की जानकारी भी प्रभावि हो सकती है। बता दें कि पृथ्वी पर जीवन के विकास के बाद मानव जीवन ही सबसे उन्नत और विकसित जीव माना जाता है। वर्तमान में मानवों की प्रजाति को होमोसेपियन्स कहा जाता है।