बीजिंग । बॉलीवुड मूवी उरी में जिस गरुड़ ड्रोन से आंतकियों की जासूसी में इस्तेमाल किया गया था , वह हकीकत में बन चुका है। उरी फिल्म में युवा वैज्ञानिक ने इस खेल-खेल में बनाकर सर्जिकल स्ट्राइक में सेना की मदद के लिए उपयोग किया था। ये सच है, इसतरह के रोबोट्स का उपयोग इस तरह के कामों में किया जा सकता है। इस गरुड़ ड्रोन को बनाया है। चीन के गुआंग्सी यूनिवर्सिटी और बी-ईटर टेक्नोलॉजी के इंजीनियरों ने गरुड़ ड्रोन की हड्डियां यानी बॉडी फ्रेम बनाने के लिए एल्यूमिनियम ज्वाइंट्स का उपयोग किया है। इसके अलावा थ्री-डी प्रिंटेड प्लास्टिक पार्ट्स लगाए गए हैं।
गरुड़ के पंखों में थ्री-डी प्रिंटेड प्लास्टिक पार्ट्स हैं। उन्हें ऊपर से फोम और असली बत्तख के पंख लगाए गए हैं। ताकि यह एकदम असली गरुड़ की तरह दिखाई दे। बता दें कि पक्षियों के आकार में ड्रोन बनाने की विधा को ऑर्निटहॉप्टर कहते हैं। इसमें कोशिश की जाती है कि रोबोटिक ड्रोन के पंख फड़फड़ाकर या वहां चमगाडदड़ों और कीड़ों की तरह उड़कर दिखाए। इसमें दो प्रकार के ड्रोन बनाए जाते हैं। पहला इंजन से उड़ने वाला और दूसरा पंखों को बैटरी के जरिए तेजी से रिमोट से उड़ने वाला है।
पंखों वाले ड्रोन यानी ऑर्निटहॉप्टर की बात 11वीं सदी से हो रही है। लेकिन इसकी पहली ड्रॉइंग मशहूर कलाकार लियोनार्डो द विंची ने 1485 में बनाई थी। इसमें उन्होंने बताया था कि कैसे इंसान उड़ सकते हैं। पक्षियों की तरह उड़ने का पहला प्रयास करीब 400 साल बाद 1894 में पहली बार किया गया। जिसमें 16 अगस्त 1894 को ओट्टो लिलिएंथल ने जर्मनी में पंख लगाकर पक्षियों की तरह उड़ने की कोशिश की है। उनका प्रयास तब खत्म हो गया जब 1896 में एक उड़ान का प्रयास करते समय वहां मारे गए।
अब इंसान जेट विंग्स लगाकर उड़ रहा है। लेकिन जहां तक बात रही गरुड़ जैसे ड्रोन की तब इन्हें कई देश विकसित करने में लगे हैं। क्योंकि इन ड्रोन से जासूसी हो सकती हैं, साथ ही आपदा की स्थिति में लोगों को खोजने और निगरानी में भी तैनात किया जा सकता है। इस तरह के जेट विंग्स को लगाकर सबसे पहले 2005 में ईव्स रोसी ने उड़ान भरी। वहां जेटमैन के नाम से जाने जाते हैं। गरुड़ ड्रोन जैसे ऑर्निटहॉप्टर के जरिए हवाई निगरानी का काम सबसे ज्यादा किया जाता है। इनकी आंखों और शरीर के निचले हिस्से में लगे कैमरे से काफी दूर तक की तस्वीरें ली जा सकती हैं। साथ ही वीडियो भी बनाए जा सकते हैं। अमेरिका, रूस, यूरोप, इजरायल और चीन इसतरह के ड्रोन बनाने की फिराक में लगातार लगे हैं। कई देशों ने इसतरह के ड्रोन बनाए हैं।