मास्को। कोरोना वायरस के कारण वैश्विक तौर पर आलोचना का सामना कर रहे चीन पर रूस ने जासूसी करने का आरोप लगाया है। हाल के दिनों में अमेरिका और चीन के बीच संबंधो में आई खटास को लेकर बीजिंग को रूस से सहायता की उम्मीद थी, लेकिन ताजा घटनाक्रम ने उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। बता दें कि रूस और चीन में दशकों से अच्छे संबंध रहे हैं। दोनों देशों ने कुछ साल पहले ही अपने सीमा विवाद को आपसी बातचीत से निपटाया था। रूसी खुफिया अधिकारियों ने सेंट पीटर्सबर्ग आर्कटिक सोशल साइंसेज एकेडमी के अध्यक्ष वालेरी मिट्को को चीनी खुफिया एजेंसी को टॉप सीक्रेट फाइल सौंपने का दोषी पाया है। जांच के दौरान रूसी अधिकारियों को पता चला कि मिट्को ने यह जानकारी अपनी चीन की यात्रा के दौरान दी थी। रूस लौटने के बाद मिट्को के अपार्टमेंट की तलाशी ली गई। जिसके बाद उसके ऊपर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है। वहीं आरोपी के वकील इवान पावलोव ने कहा है कि उसके ऊपर लगाया गया आरोप निराधार है और मिटको ने इसे खारिज किया है। आरोपी को लेनिनग्राद में स्थित उसके अपार्टमेंट में नजरबंद कर दिया गया है।
चीन ने बढ़ाई जासूसी गतिविधियां
बता दें कि चीन ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी जासूसी गतिविधियों को बढ़ा दिया है। यहां तक कि उस पर ऑस्ट्रेलिया में राजनीतिक हस्तक्षेप का भी आरोप लगाया गया है। सीएनएन ने नवंबर में बताया था कि ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने उन रिपोर्टों पर चिंता व्यक्त की थी जिसमें चीन ने ऑस्ट्रेलियाई संसद के लिए अपने एक एजेंट को चुनाव में खड़ा करने का प्रयास किया था।