वाशिंगटन । चीन ने मंगल की सतह पर अपना पहला स्पेसक्राफ्ट उतार दिया है। तियानवेन-1 मिशन ऐसा पहला मिशन है जब एक ही बार में कक्षा में भी यान प्रक्षेपित किया गया, लाल ग्रह की सतह पर लैंडिंग प्लैटफॉर्म भी ड्रॉप किया गया और रोवर भी भेजा गया। लैंडर और रोवर के साथ कैप्सूल मंगल के वायुमंडल को चीरते हुए सतह पर जा पहुंचा। इसके साथ ही चीन अमेरिका के बाद मंगल पर यान उतारने वाला पहला देश बन गया है। चीनी नैशनल स्पेस ऐडमिनिस्ट्रेशन के हवाले से बताया है कि लैंडर का शनिवार को टचडाउन हो गया। लैंडर रोवर झुरॉन्ग के साथ पैराशूट की मदद से नीचे उतरा और वायुमंडल से 7 मिनट में लैंड हुआ। यह मंगल के यूटोपिया प्लैनीशिया पर लैंड हुआ है। चीन के रोवर में 6 पहिए हैं और यह सौर ऊर्जा से चलता है। इसका वजन करीब 240 किलो है। यह मंगल पर चट्टानों के सैंपल इकट्ठा करेगा और उन पर स्टडी करेगा। यह करीब 3 महीने तक काम करेगा।तियानवेन-1 फरवरी में मंगल की कक्षा में पहुंचा था। फरवरी में ही अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का प्रीजरवरेंस रोवर भी मंगल पर लैंड हुआ था। उसने वहां अब टेस्टिंग के लंबे वक्त के बाद अपना साइंटिफिक काम भी शुरू कर दिया है। नासा ने एक हेलिकॉप्टर इंगेन्यूटी भी भेजा है जिसने अपनी पांच सफल उड़ानें पूरी कर ली हैं। लैंडिंग से पहले तियानवेन-1 का ऑर्बिटर कई तस्वीरें दे चुका है। एक वीडियो तियानवेन-1 के स्मॉल इंजिनियरिंग सर्वे सब-सिस्टम कैमरे से लिया गया था जिसके फ्रेम में मंगल आता दिख रहा था। इसके बाद मंगल के वायुमंडल का किनारा नजर आया। मंगल की सतह पर मौजूद गड्ढे भी नजर आए। दूसरे वीडियो में तियानवेन-1 के ट्रैकिंग ऐंटेना के मॉनिटरिंग कैमरा से ली गई तस्वीर दिखी थी। इंजिनियरिंग सर्वे सब-सिस्टम में कई छोटे मॉनिटरिंग कैमरे लगे हैं।इन दोनों देशों के अलावा इस साल संयुक्त अरब अमीरात का स्पेसक्राफ्ट होप भी मंगल की कक्षा में पहुंचा है जो मंगल की कक्षा में चक्कर काटेगा और उसका एक विस्तृत मैप तैयार करेगा।