मुजफ्फराबाद । चीन के मंसूबों को पूरा करने में लगी इमरान सरकार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की जनता की आवाज नहीं सुन रही है। इसके बाद पीओके की राजधानी मुजफ्फराबाद में फिर से बड़ी संख्या में लोगों ने इलाके में चीनी की ओर से बन रहे विशाल बांधों का जमकर विरोध किया। पीओके के लोगों ने टॉर्च रैली निकालकर नीलम-झेलम नदियों पर बनाए जा रहे बांधों का विरोध किया। इसके पहले बड़ी संख्या में लोगों ने मुजफ्फराबाद शहर के अंदर जोरदार मशाल जुलूस और विरोध मार्च निकाला था। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि इन बांधों से पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा है। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन से सवाल किया कि आखिर किस कानून के तहत विवादित जमीन पर बांध बनाने के लिए चीन और पाकिस्तान में समझौता हुआ है? उन्होंने कहा कि नदियों पर कब्जा करके पाकिस्तान और चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारी ने कहा कि हम लोगों को कोहाला प्रॉजेक्ट की तरफ प्रदर्शन करते हुए तब तक जारी रखना चाहिए जब तक बांध का काम रोक नहीं दिया जाता। भारत के साथ पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव के बीच चीन और पाकिस्तान ने आपस में अरबों डॉलर का समझौता किया है। पाकिस्तान के हिस्से वाले कश्मीर के कोहोला में 2.4 अरब डॉलर के हाइड्रो पावर प्रॉजेक्ट के लिए यह समझौता हुआ है। यह प्रॉजेक्ट बेल्ट एंड इनिशिएटिव का हिस्सा है, जिसके जरिए यूरोप, एशिया और अफ्रीका के बीच कमर्शल लिंक बनाने का उद्देश्य है।प्रॉजेक्ट की मदद से देश में बिजली सस्ती हो सकती है। पाकिस्तान की सरकार ने सोमवार को कश्मीर के सुधानोटी जिले में झेलम नदी पर आजाद पट्टान हाइड्रो प्रॉजेक्ट की घोषणा की। यह बांध चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का हिस्सा है।समझौते पर दस्तखत के समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी और चीन के राजदूत याओ जिंग शामिल थे। पीएम के स्पेशल असिस्टेंट असीम सलीम बाजवा ने इस डील को मील का पत्थर बताया है।