पेइचिंग । भारत और अमेरिका के साथ तनाव को देखते हुए चीन ने अपने रक्षा बजट में भारी बढ़ोतरी की है। चीन ने सन 2021 के लिए रक्षा बजट में 6.8 फीसदी का इजाफा किया है। चीन का रक्षा बजट अब आधिकारिक तौर पर 209 अरब डॉलर का हो गया है। चीन ने रक्षा बजट में वृद्धि का ऐलान ऐसे समय किया है जब दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है। इस महाआपदा में भी ड्रैगन पूर्वी लद्दाख से लेकर साउथ चाइना सी तक लगातार आक्रामकता दिखा रहा है।
चीन के प्रधानमंत्री ली केइआंग ने देश की संसद नेशनल पीपल्स कांग्रेस में रक्षा बजट में वृद्धि का ऐलान किया। रक्षा बजट में इस वृद्धि का बचाव करते हुए एनपीसी के प्रवक्ता झांग येसुई ने कहा कि चीन अपने रक्षा बजट को इसलिए बढ़ा रहा है, ताकि उसे कोई निशाना न बना सके या उसे कोई धमका न सके। उन्होंने दावा किया कि चीन की रक्षा नीति की प्रकृति रक्षात्मक है। इससे पहले भारत ने अपने रक्षा बजट का ऐलान किया था। भारत का रक्षा बजट 65 अरब डॉलर है और इसमें पेंशन का बिल भी शामिल है। भारत ने अपने रक्षा बजट में मात्र 1.48 प्रतिशत की वृद्धि की थी।
चीन ने यह रक्षा बजट ऐसे समय पर बढ़ाया है, जब उसका भारत और अमेरिका के साथ तनाव चरम पर है। चीन का अमेरिका के साथ हांगकांग में लोकतंत्र और दक्षिण चीन सागर को लेकर सैन्य विवाद बढ़ गया है। चीन और भारत के बीच पूर्वी लद्दाख में तनाव अब तक बना हुआ है। चीन ने कोरोना वायरस की मार के बीच पिछले साल अपने रक्षा बजट में 6.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी। इस बीच कई विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि चीन अपने सैन्य खर्च का सही-सही आंकड़ा सार्वजनिक नहीं करता है।
चीनी सेना से रिटायर हो चुके सीनियर कर्नल वांग शियांगसुई कहते हैं कि अमेरिकी सेना परमाणु हथियार और अंतरिक्ष में अपनी बादशाहत को कायम रखना चाहती है और चीन इसे बिगाड़ना चाहता है। चीन ऐसे समय पर अपने रक्षा बजट को बढ़ा रहा है, जब खबर है कि वह अपने मिसाइल ट्रेनिंग एरिया को बहुत बड़े पैमाने पर विकसित कर रहा है। सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीनी सेना इस एरिया में मिसाइलों को रखे जाने वाले स्टोरेज कंटेनर्स (साइलो), सुरंग और सपोर्ट फैसिलिटी का विस्तार कर रहा है।
चीन की इन तैयारियों से यह अंदेशा जताया जा रहा है कि वह आने वाले दिनों में अपनी मारक क्षमता को बढ़ाने और दुश्मनों पर हावी होने के लिए मिसाइलों को मुख्य हथियार बनाएगा। चीन के पास कई ऐसी घातक मिसाइलें हैं जिनका तोड़ अमेरिका के पास भी नहीं है। चीन कम से कम 16 साइलो का निर्माण कर रहा है। इन तस्वीरों से यह भी पता चला है कि वह मिसाइल लॉन्चिंग की नई फैसिलिटी और लोडिंग ऑपरेशन को छिपाने के लिए सुरंगे बना रहा है। इनर मंगोलिया प्रांत के जिलंताई शहर के पूर्व में स्थित इस प्रशिक्षण क्षेत्र में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना रॉकेट फोर्स अपने मिसाइल क्रू को ट्रेनिंग देती है। इसमें ट्रक या ट्रेन के ऊपर लगीं मिसाइलें और सपोर्टिंग गाड़ियां शामिल होती हैं। जिलंताई ट्रेनिंग एरिया रेगिस्तानी और पहाड़ी क्षेत्र को मिलाकर कुल 2,090 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।