वाशिंगटन। अमेरिका में प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने आरोप लगाया कि चीन ने तिब्बत की गौरवशाली संस्कृति एवं इतिहास को नष्ट करने के लिए दशकों से मुहिम छेड़ रखी है और अमेरिका तिब्बती लोगों का साथ देना जारी रखेगा। पेलोसी ने दूरस्थ हिमालयी क्षेत्र पर चीन के कब्जे के खिलाफ तिब्बती विद्रोह दिवस के 62 वर्ष पूरे होने के अवसर पर कहा, ‘‘62 साल पहले, बहादुर तिब्बती अपनी जीवनशैली और संस्कृति की रक्षा के लिए चीनी हस्तक्षेप के खिलाफ खड़े हुए। हम आज भी तिब्बती लोगों के साथ खड़े हैं और उन लोगों का सम्मान करते हैं, जिन्होंने अपने अधिकारों एवं स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया।’’
शीर्ष डेमोक्रेटिक नेता ने कहा, ‘‘तिब्बती, पुरुष, महिलाएं एवं बच्चे हिंसा मुक्त माहौल में केवल अपने धर्म का पालन करना चाहते हैं, अपनी बोलना चाहते हैं और अपनी संस्कृति को जीवित रखना चाहते हैं। इसके बावजूद बीजिंग ने तिब्बत की गौरवशाली संस्कृति एवं इतिहास को नष्ट करने के लिए दशकों से मुहिम चला रखी है।’’ उन्होंने कहा कि इसी लिए अमेरिका ने केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के साथ राजनयिक संबंधों को मजबूत करने के लिए ‘तिब्बत पॉलिसी एंड सपोर्ट एक्ट’ लागू करके तिब्बत के लोगों के प्रति द्विदलीय और दोनों सदनों में सहयोग की पुन: पुष्टि की और यह स्पष्ट किया कि तिब्बती धर्म संबंधी फैसले केवल तिब्बती आध्यात्मिक नेताओं को ही लेने चाहिए। पेलोसी ने कहा, ‘‘हम (तिब्बतियों के आध्यात्मिक नेता) दलाई लामा के शांति, विश्वास एवं प्रेम के शक्तिशाली संदेश से प्रेरणा लेते रहेंगे।’’ दलाई लामा (85) तिब्बत में स्थानीय जनसंख्या के विद्रोह पर कार्रवाई के बाद 1959 में भारत चले गए थे। भारत ने उन्हें राजनीतिक शरण दी और तभी से तिब्बत की निर्वासित सरकार का आधार हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में है।