जिनेवा । विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन के कोरोना वायरस महामारी पर काबू पाए जाने को लेकर सच्चाई को दुनिया के सामने रखा है। डब्ल्यूएचओ के वरिष्ठ सलाहकार ब्रूस आयलवर्ड ने कहा कि चीन में लगातार 20 से अधिक दिन से कोविड-19 का कोई घरेलू मामला सामने नहीं आया है। इसका मील के पत्थर का महत्व है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ दल के साथ चीन की यात्रा की थी। उन्होंने दावा किया कि तीन कारकों से चीन को महामारी को रोकने की लड़ाई में सफलता मिली। पहला है सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में चीन का निवेश। ब्रूस ने कहा कि चीन ने राष्ट्रीय स्तर से प्रांतों और शहरों के समुदाय तक एक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली स्थापित की है। जिससे जानकारी और अनुभव को प्रवाहित करने की अनुमति दी जा सकती है। इसने महामारी के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि दूसरा है, चीनी लोगों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी की भावना। तीसरा है महामारी की रोकथाम के कार्य पर चीन के विभिन्न स्तरों के अधिकारियों का बड़ा ध्यान। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दावा किया है कि पेइचिंग ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान खुले और पारदर्शी तरीके से काम किया। शी ने कहा कि चीन ने ठोस कदम उठाए जिससे विश्वभर में करोड़ों लोगों की जान बचाई जा सकी। जिनपिंग ने कोरोना वायरस महामारी से लड़ने में चीन की भूमिका की तारीफ की और अमेरिका की आलोचना के जवाब में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रति समर्थन जताया। कोरोना वायरस पहली बार पिछले साल के अंत में वुहान शहर में सामने आया था। अमेरिका और अन्य देशों का आरोप है कि संक्रमण इसलिए अनियंत्रित हो गया, क्योंकि चीन ने इसके बारे में सूचनाएं छुपाईं। वहीं, चीन का कहना है कि उसने तेजी से और जिम्मेदारी से काम किया लेकिन इसे लेकर स्वतंत्र जांच की मांग को खारिज कर दिया। अमेरिका के आरोपों को लेकर चीन डब्ल्यूएचओ के साथ खड़ा रहा है। चीन के साथ कथित रूप से खड़े होने की वजह से अमेरिका डब्ल्यूएचओ से हटने की प्रक्रिया में है। बता दें कि कोरोना वायरस को पैदा करने वाला चीन अब इस महामारी पर जीत पा चुका है। वहां दिन-प्रतिदिन संक्रमण के मामलों में कमी आ रही है। कई विशेषज्ञों ने चीन पर आरोप भी लगाया था कि उसने चुपचाप कोरोना की वैक्सीन को बनाकर अपने लोगों को दे दी है।