न्यूर्याक । अमेरिका द्वारा ऐतिहासिक तिब्बती नीति और सहायता अधिनियम 2020 पर हस्ताक्षर के बाद भारतीय मीडिया की कवरेज पर चीन के कड़े विरोध के बाद दलाईलाम के प्रवक्ता ने चीनी दूतावास को कड़ी फटकार लगा दी है। तिब्बत पर अमेरिकी दखल से बौखलाया चीन अब अपना गुस्सा भारत पर उतारने की कोशिश में है। भारत में चीनी दूतावास के प्रवक्ता काउंसलर रोंग ने भारतीय मीडिया कवरेज की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय मीडिया में तिब्बत से संबंधित मुद्दों पर टिप्पणियां व प्रचार तथ्यों पर आधारित नहीं हैं।
"तिब्बत कार्ड खेलने के खिलाफ भारतीय मीडिया को चेतावनी देकर रोंग जी ने दावा किया कि तिब्बत "प्राचीन काल से चीन का हिस्सा रहा है और इससे जुड़े मामले चीन के आंतरिक मामले हैं।इसमें किसी भी बाहरी देश को दखल की इजाजत नहीं। बता दें कि अमेरिकी संसद ने हाल ही में तिब्बती नीति और समर्थन कानून पास कर राष्ट्रपति ट्रंप जाते-जाते इस पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। ये चीन की विस्तारवादी नीति पर सीधा हमला है। इसके बाद से चीन भारत से भी डरा हुआ है, जो पहले से ही तिब्बत के पक्ष में बोलता आया है।
बता दें कि साल 1959 में तिब्बत पर चीन के कब्जे के बाद वहां के नेता और धर्म गुरु दलाई लामा भागकर भारत आ गए। उनके साथ ही तिब्ब्तियों की एक बड़ी आबादी आई, जो अब हिमाचल के धर्मशाला से लेकर देश के कई हिस्सों में बस चुकी है। धर्मशाला में रहकर दलाई लामा चीन के खिलाफ मोर्चाबंदी कर लगातार अपने देश की चीन से आजादी की बात उठाते रहते हैं। अब तिब्बती नीति और समर्थन कानून पास कर दिया है। इससे तिब्बतियों को अपना धार्मिक नेता (अगला दलाई लामा) चुनने के अधिकार का रास्ता साफ हो गया है। अगर चीन इसमें अड़ंगा डालता है,तब अमेरिका दूसरे देशों की रजामंदी से चीन के खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकता है, या उसपर कड़ी आर्थिक पाबंदियां लगा सकता है।हांलाकि भारत ने अभी तक अमेरिका कांग्रेस से पास कानून को लेकर अपनी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन पहले से ही चीन भारत को धमकाने की कोशिश कर रहा है। दलाई लामा को शरण देने के कारण चीन भारत से तब से ही चिढ़ा हुआ है। बता दें कि भारत के दलाई लामा की मान्यताओं पर सहमति जताने पर चीन अक्सर नाराजगी जताता रहा है।