पेइचिंग। कोविड-19 के जनक कहलाने वाले चीन नए अब इसके संक्रमण की रोकथाम करने वाले वैक्सीन को तैयार करने का दावा किया है। चीन के एक शीर्ष वैज्ञानिक ने कहा कि संक्रमितों के इलाज के लिए यह वैक्सीन सितंबर के बाद कभी भी बाजार में उतारा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस वैश्विक महामारी से निपटने के लिए हर्ड इम्यूनिटी नहीं बल्कि वैक्सीनाइजेशन ही प्रमुख समाधान होगा। उन्होंने कहा कि इस वैक्सीन का ट्रायल अंतिम चरण में है और जल्द ही हम इसको लेकर बड़ी घोषणा कर सकते हैं।
चीन के प्रमुख चिकित्सा सलाहकार डॉ. झोंग नानशान ने कहा कि हम कोरोना वायरस के कई वैक्सीन पर काम कर रहे हैं। इनमें से कई टीके सितंबर से लेकर दिसंबर के बीच अस्पतालों में इलाज के लिए उपलब्ध करवा दिए जाएंगे। ज्ञात हो कि ऐसी ही घोषणा चीन के सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल के महानिदेशक डॉ. गाओ फू ने भी पहले की थी। डॉ. गाओ ने अप्रैल के अंत में कहा था कि चीन सितंबर तक घातक बीमारी के लिए एक सफल टीका लगाने की उम्मीद कर रहा है। उन्होंने कहा था कि वैक्सीन का उपयोग वायरस के एक नई लहर को रोकने के लिए किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि वैक्सीन या विशिष्ट दवा विकसित करने में हमेशा समय लगता है। क्योंकि इसके इस्तेमाल से पहले हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारे द्वारा बनाई जा रही वैक्सीन सुरक्षित और कारगर है। डॉ. झोंग नानशान ने ब्रिटिश सरकार की हर्ड इम्यूनिटी थ्योरी पर चिंता जताई।
उन्होंने कहा कि इससे लाखों लोगों के जीवन को खतरा हो सकता है। इससे बचने के लिए टीकाकरण के अलावा कोई उपाय नहीं है। कोरोना वायरस के खिलाफ चीन की लड़ाई का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किए गए डॉक्टर झोंग ने कहा कि हर्ड इम्यूनिटी उस स्थिति को बताता है जहां लोगों ने एक बीमारी के प्रति प्रतिरक्षा हासिल कर ली है। चीनी सर्च इंजन बंधु के लाइव स्ट्रीमिंग हेल्थ कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि हर्ड इम्यूनिटी पाने के लिए एक देश को अपनी आबादी के 60 से 70 फीसदी लोगों को संक्रमित करने की जरुरत है। उन्होंने आशंका जताई कि हो सकता है कि इनमें से 7 फीसदी से ज्यादा लोगों की मौत हो जाए। इतनी बड़ी संख्या में कोई भी देश मौत को बर्दाश्त नहीं कर सकता। यह तरीका चौंकाने वाला और बहुत खतरनाक है।