सर्दी-गर्मी के बीच होने वाले उतार-चढ़ाव का असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। मौसमी बीमारियों से अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ती जा रही है। शहर के तीन प्रमुख सरकारी अस्पतालों- हमीदिया, जेपी और एम्स में एक माह में ओपीडी करीब एक लाख से अधिक मरीजों की हो गई है।
हैरत की बात यह है कि बीते 15 दिनों में शहर में करीब 60 फीसदी मौसमी बीमारियों के मरीज बढ़े हैं। सबसे ज्यादा मरीज एम्स की ओपीडी में पहुंचे, जहां करीब 15 दिन में 50,000 मरीजों ने इलाज कराया। वहीं, हमीदिया अस्पताल में 30,000 और जेपी अस्पताल में 20,000 मरीज आए।
पेट के संक्रमण, अस्थमा अटैक, खांसी व एलर्जी बढ़ी
डॉक्टरों के अनुसार, बदलता मौसम अब विकराल रूप ले चुका है और इसका सीधा असर वायरल बुखार, सर्दी-जुकाम, निमोनिया जैसी समस्याओं पर पड़ा है। खासकर बच्चों के लिए यह मौसम बहुत कठिन साबित हो रहा है, क्योंकि उनके फेफड़ों में संक्रमण और निमोनिया के मामले 30 फीसदी तक बढ़ गए हैं। एम्स के तो सभी बेड फुल हैं।
एलर्जी या नियमित दवाई लेने वालों पर असर तापमान में ज्यादा अंतर का असर खासकर उन लोगों पर पड़ता है, जो नियमित दवाइयां ले रहे हैं या जिनको एलर्जी है। ऐसे में उन्हें खास ध्यान रखना चाहिए। पिछले एक हफ्ते में वायरल और सर्दी-जुकाम के मामलों में काफी बढ़ोतरी देखी गई है। अभी खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए स्थिति गंभीर है।। - डॉ. पराग शर्मा, रीजनल रेस्पीरेटरी इंस्टीट्यूट के एसोसिएट प्रोफेसर
हाइजीन का ध्यान रखें
मौसम में अचानक ठंड, गर्मी और फिर ठंड का चक्र बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों की सेहत पर गहरा असर डाल रहा है। इस बदलाव के कारण पेट के संक्रमण (गेस्ट्रो एंटेराइटिस), वायरल फ्लू, अस्थमा अटैक, जुकाम, खांसी और एलर्जी जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ी हैं। ऐसे में इन बीमारियों से बचने के लिए कुछ खास सावधानियां जरूरी हैं। मास्क का उपयोग और हाइजीन का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। जरूरी है कि हम स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहें और अपनी दिनचर्या में छोटे-छोटे बदलाव करें। इससे हम बचाव के साथ इम्युनिटी भी मजबूत बना सकते हैं। डॉ. अभिषेक सिंघई, एमडी मेडिसिन, एम्स भोपाल