हांगकांग। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन में तनातनी के बीच दोनों देश लद्दाख और अक्साई चिन सेक्टर में अपनी ताकत बढ़ाने में लगे हुए हैं। किसी भी संभावित सैन्य टकराव को देखते हुए दोनों ही देशों ने हवाई ताकत में बढ़ोतरी की है। विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर हवाई जंग हुई तो ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में चीन के मुकाबले भारतीय वायुसेना काफी बेहतर स्थिति में है। विशेषज्ञों ने बताया कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (पीएलएएएफ) ने जमीनी स्तर पर हवाई रक्षा नेटवर्क पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। चीनी सेना के वेस्टर्न थिएटर कमांड के तहत सभी हवाई साजोसामान आते हैं। यह कमांड चीन के पांच सैन्य थिएटर कमांड में सबसे बड़ा है।
फ्लैश पॉइंट चाइना
चाइनीज एयर पावर एंड रीजनल सिक्योरिटी के लेखक एंड्रियाज रूपच्र्ट के मुताबिक, तनाव के हालात को देखते हुए भारत के पास के कई बेस को चीन ने सक्रिय कर दिया है। पहाड़ी ढलानों और कठिन मौसमी हालातों को देखते हुए चीन ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में कई स्थायी हवाई बेस बना लिए हैं। हार्वर्ड केनेडी स्कूल में बेलफर सेंटर द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, वेस्टर्न थिएटर कमांड में चीन के 157 जंगी विमान और हथियार युक्त ड्रोन हैं। वहीं, 122 भारतीय लड़ाकू विमानों की तैनाती को देखते हुए चीनी वायुसेना ने चौथी पीढ़ी के 101 विमानों की तैनाती की है। रिपोर्ट के लेखक फ्रैंक ओ डॉनेल और एलेक्जेंडर के बॉलफ्रास ने बताया है कि भारत के खिलाफ चीन के आठ हवाई बेस सक्रिय हैं।
तबाही ला सकती है भारतीय वायुसेना
एंड्रियाज के मुताबिक, एलएसी के पास चीन के ये बेस अस्थायी तौर पर ही हैं। नियमित बेस सिर्फ तिब्बत क्षेत्र में ही हैं। यहां पर पूर्ववर्ती चेंगदू सैन्य क्षेत्र से आने वाले सैनिकों को ट्रेनिंग दी जाती है। वहीं, डॉनेल और बॉलफ्रास के मुताबिक, दोनों देशों के बीच जंग की स्थिति में पीएलए हवाई सेना की मदद लिए बिना कोई हमला नहीं कर सकती है। वहीं, इन इलाकों में भारतीय वायुसेना चीन के मुकाबले काफी बेहतर स्थिति में हैं। भारतीय वायुसेना इस क्षेत्र में ड्रैगन के एयर बेस, सैन्य सड़क और रेल लिंक को बमबारी या मिसाइल हमलों से तबाह कर सकती है और चीन की आक्रामकता पर रोक लगाई जा सकती है।
तिब्बत में चीन के एयरफील्ड पर 36 विमान तैनात
चीन के होतान और नगारी-गुंसा लद्दाख के बेहद करीब हैं, मगर तिब्बत के ल्हासा और गोंग्गार और शिंगात्से एयरफील्ड इनसे ज्यादा प्रासंगिक हैं। हालांकि, भारतीय वायुसेना के हमलों की जद में होने के चलते तिब्बत स्थित चीन के एयरफील्ड पर खतरा बना रहता है। ल्हासा में 36 लड़ाकू विमान हैं, जबकि होतान में सिर्फ दो ही हैं।