पृथ्वी के समीप से गुजरता देखा गया ऐस्टरॉइड अपोफिस

Updated on 07-03-2021 10:36 PM

वॉशिंगटन यूनिवर्स में पृथ्वी ही एकमात्र ग्रह नहीं है। कई ऐसे अंतरिक्षीय ग्रह हैं जो हमारे निकट से गुजरते हैं। इनमें से कुछ काफी दूरी से निकल जाते हैं लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जिनके ज्यादा करीब आने की संभावना होती है। ऐसा ही एक स्पेस ऑब्जेक्ट है ऐस्टरॉइड 99942 अपोफिस। यह ऐस्टरॉइड शनिवार को धरती के 1.04 करोड़ मील दूर से गुजर गया। यह दूरी अपने आप में काफी ज्यादा लगती है लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि इसके रास्ते पर असर होने से यह दूरी कम भी हो सकती है और भविष्य में यह धरती से टकरा भी सकता है। शनिवार को जब यह धरती के करीब से गुजरा तो कई लोगों ने इसे ऑब्जर्व किया। कुछ लोगों ने इसकी तस्वीरें और वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर की हैं। खास बात यह है कि अगली बार जब 2029 में यह धरती के और करीब से निकलेगा तो इसे देखने के लिए किसी उपकरण की जरूरत नहीं पड़ेगी।

करीब 3-4 फुटबॉल फील्ड्स के बराबर आकार वाले ऐस्टरॉइड अपोफिस का नाम ही यूनानी भाषा में 'तबाही के देवता' पर रखा है। इसके पीछे कारण यह है कि अगर कभी यह धरती से टकराता है तो परमाणु बम गिरने से भी हजारों गुना ज्यादा तबाही होगी। अभी तक के आकलन के मुताबिक यह ऐस्टरॉइड जब 2029 में फिर से धरती के करीब से गुजरेगा तब यह सिर्फ 19 हजार मील दूर होगा। गुरुत्वाकर्षण के कारण ऐस्टरॉइड्स के रास्ते में बदलाव हो सकता है। इसके अलावा सूरज की गर्मी से पिघलने और फिर ठंडा होने पर रेडिएशन के उत्सर्जन से भी इनका रास्ता बदल सकता है। इसे यार्कओवस्के इफेक्ट कहते हैं। रेडिएशन की वजह से ऐस्टरॉइड पर फोर्स थ्रस्टर की तरह काम करती है। हालांकि, 2029 में इसके धरती से टकराने की आशंका नहीं है। अप्रैल 2068 में ऐसा होने की आशंका है लेकिन वह भी बहुत ज्यादा नहीं है। यह ऐस्टरॉइड कितना शक्तिशाली है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह अगर पृथ्वी से टकराता है तो 88 करोड़ टन टीएनटी के विस्फोट के बराबर असर होगा।

यही नहीं, ऐस्टरॉइड्स के धरती से करीब से गुजरने पर वैज्ञानिकों को इन्हें स्टडी करने का मौका मिलता है। धरती पर लगे टेलिस्कोप्स इनकी सतह के बारे में जानकारी इकट्ठा करते हैं। माना जाता है कि ऐस्टरॉइड्स शुरुआती ब्रह्मांड की कहानियों को समेटे होते हैं और उनसे सिर्फ ब्रह्मांड की उत्पत्ति बल्कि धरती पर जीवन की शुरुआत के बारे में भी पता चल सकता है। हाल ही में एक स्टडी में पाया गया है कि ऐस्टरॉइड लोटकावा से लाए गए सैंपल से वहां पानी और ऑर्गैनिक मैटर होने के सबूत मिले हैं। जापान का हयाबुसा मिशन यह सैंपल लेकर आया था। हयाबुसा 2 मिशन भी पिछले साल ऐस्टरॉइड रेग्यु से सैंपल लेकर आया है और उन्हें भी जीवन की तलाश में स्टडी किया जाएगा। वहीं, नासा के ओसलिस-रेक्स स्पेसक्राफ्ट ने ऐस्टरॉइड बीनू से सैंपल इकट्ठा किए हैं और वह 2023 में धरती पर लौटेगा।

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