वाशिंगटन । कोरोना वैक्सीन को लेकर दुनियाभर से खुशखबरी आनी शुरू हो चुकी है। इस बीच अमेरिकी दवा कंपनी एक अलग अच्छी खबर सुनाई है। उसकी एंटीबॉडी थैरेपी कोरोना से संक्रमित मरीजों को जल्द ठीक कर रही है। थैरेपी से उन मरीजों को ज्यादा फायदा मिल रहा है, जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। दवा कंपनी रीजेनेरॉन फार्मास्यूटिकल्स ने सिंतबर में कहा था कि वहां दवा एंटीबॉडीज कैसिरिविमैब और इमदेवीमैब को मिलाकर एक एंटीबॉडी थैरेपी शुरू करने वाली है। जिसका ट्रायल चल रहा था। अब उसके नतीजे देखने को मिले हैं। थैरेपी से मरीजों के शरीर में कोरोना की मात्रा में कमी आई है। रीजेनेरॉन फार्मास्यूटिकल्स की एंटीबॉडी थैरेपी में वहां लोग शामिल थे, जिनका शरीर खुद की एंटीबॉडी बना रहा था। इस सीरोपॉजिटिव कहते हैं। वहां लोग भी शामिल थे जिनका शरीर खुद एंटीबॉडी नहीं बना रहा था। इन्हें सीरोनिगेटिव कहते हैं।
सीरोनिगेटिव मरीजों को रीजेनेरॉन फार्मास्यूटिकल्स ने एंटीबॉडी थैरेपी दी। इसके बाद अपनी खुद की एंटीबॉडी न बना पाने वाले मरीजों को शानदार फायदा हुआ। कोरोना की वजह से उनके मरने की आशंका लगभग खत्म हो गई। शोध में सामने आया कि एंटीबॉडी थैरेपी लेने वाले मरीजों को मैकेनिकल वेंटिलेशन यानी ऑक्सीजन देने की जरूरत नहीं पड़ रही थी। जो मरीज वेंटिलेटर थे, वहां भी इस एंटीबॉ़डी थैरेपी की वजह से जल्द ही वेंटिलेटर से हटाए जा रहे थे। इतना ही नहीं साथ ही उनके शरीर में कोरोना की मात्रा में कमी आई।
शोध के आधार पर रीजेनेरॉन फार्मास्यूटिकल्स ने कहा कि अब वह अपनी स्टडी का आखिरी चरण पूरा करेगा। पिछले महीने अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने एंटीबॉडी थैरेपी के आपातकालीन उपयोग की अनुमति दी थी। एंटीबॉडी थैरेपी कम से मध्यम स्तर के संक्रमित मरीजों को दी जाती है। अब रीजेनेरॉन फार्मास्यूटिकल्स थैरेपी का आखिरी चरण पूरा करने जा रही है। इसके लिए अस्पतालों में भर्ती 2000 मरीजों का चयन कर लिया गया है। कंपनी को उम्मीद है कि ट्रायल पूरा और सफल होने के बाद इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शुरू किया जाएगा।