वॉशिंगटन । कोरोना वायरस को लेकर शुरू से ही चीन पर हमलावर रहे अमेरिका ने एक रिपोर्ट जारी कर वुहान स्थित वायरॉलजी इंस्टिट्यूट (डब्ल्यूआईवी) में चमगादड़ों की रिसर्च को लेकर चीन पर सच छिपाने समेत कई गंभीर सवाल उठाते हुए इसकी विस्तृत जांच की मांग की है। अमेरिकी गृह विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) ने व्यवस्थित तरीके से कोरोना महामारी की उत्पत्ति से जुड़ी जांच को रोक दिया और झूठ फैलाने में अपनी ताकत झोंक दी।
अमेरिका ने अपनी रिपोर्ट में सीधे-सीधे दावा नहीं किया है कि चीन से ही ,सारी दुनिया में कोरोना वायरस फैला है, लेकिन जानवरों से इंसानों में फैलने से लेकर लैब में हुई घटना और इसके बाद वायरस लीक होने तक की संभावनाओं का विस्तार से जिक्र किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मामले में गहराई से जांच कराए जाने की जरूरत है। फैक्ट शीट : एक्टिविटी एट वुहान इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी नाम की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी सरकार के पास यह मानने के लिए पर्याप्त वजह है कि महामारी के पहले केस की पहचान से पहले वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरॉलजी में कई रिसर्चर 2019 में बीमार हो गए थे।
इससे सवाल उठता है कि डब्ल्यूआईवी के सीनियर रिसर्चर शी झेंगली ने जो दावा किया था कि संस्थान के स्टाफ या स्टूडेंट्स में कोई केस नहीं देखा गया, उस पर कैसे विश्वास किया जा सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पहले भी चीन में 2004 में सार्स महामारी फैली थी। आरोप लगाया गया है कि सीसीपी ने पहले भी स्वतंत्र पत्रकारों, जांचकर्ताओं और वैश्विक हेल्थ अथॉरिटीज को डब्ल्यूआईवी में शोधकर्ताओं से पूछताछ करने से रोका है। इसमें वे लोग भी शामिल हैं जो 2019 में बीमार पड़े थे।
वायरस की उत्पत्ति की किसी भी विश्वनीय जांच में इन लोगों से सवाल-जवाब शामिल होने चाहिए। अमेरिका ने मांग की है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के जांचकर्ताओं को डब्ल्यूआईवी के चमगादड़ों और दूसरे कोरोना वायरस पर किए गए काम का सारा रेकॉर्ड मिलना चाहिए। जांच के दौरान उन्हें पता चलना चाहिए कि डब्ल्यूआईवी ने क्यों पहले आरएटीजी13 और दूसरे वायरसों के ऑनलाइन रेकॉर्ड को बदला और फिर डिलीट कर दिया।