वाशिंगटन । जो बाइडेन चंद घंटों बाद दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश माने जाने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह में ट्रंप समर्थकों द्वारा हिंसा की आशंका को देखते हुए पूरे वाशिंगटन को सैन्य छावनी में बदल दिया गया है। पहली बार वहां किसी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में 25 हजार सैनिकों की तैनाती की गई है। नए राष्ट्रपति जो बाइडेन के शपथ ग्रहण समारोह की भव्यता देखकर कोई नहीं कह सकता कि दुनिया का यह सबसे शक्तिशाली मुल्क सिर से पैर तक कर्ज में डूबा हुआ है। जो बाइडेन ने सत्ता में आने के साथ ही कोरोना महामारी से लड़ने के लिए दो ट्रिलियन डॉलर के आर्थिक पैकेज का ऐलान कर दिया है जो निश्चित तौर पर अमेरिका के राष्ट्रीय कर्ज में और इजाफा करेगा।
बाइडेन सरकार के इस नए आर्थिक पैकेज का इस्तेमाल महामारी से लड़ने की व्यवस्था, लोगों को टीका दिलवाने, छोटे व्यापारियों को आर्थिक मदद देने, गरीब और कम आय वर्ग वाले लोगों को नकदी देकर उनकी समस्या को हल करने में किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इस बड़े कर्ज को अमेरिका में भारतीय रिजर्व बैंक जैसी वित्तीय संस्था फेडरल बैंक फाइनेंस करेगा। बाइडेन के इस आर्थिक पैकेज के ऐलान के साथ ही कर्ज में डूब चुके अमेरिका पर और आर्थिक बोझ बढ़ेगा। बाइडेन के ऐलान किए गए पैकेज को अगर जोड़ दें तो सिर्फ बीते 9 महीने में आर्थिक पैकेज के जरिए अमेरिकी सरकार अपने लोगों पर 3.5 अरब डॉलर अब तक खर्च कर चुकी है।
अमेरिका के होने वाले नए राष्ट्रपति के लिए चिंता की बात यह है कि कोरोना महामारी के दौरान बड़े-बड़े आर्थिक पैकेज दिए जाने के बाद भी वहां विकास दर लगातार कमजोर हुई है। महमारी का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है और बाजारों में मंदी है। कोरोना की वजह से वहां साढ़े तीन लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 4000 नए केस लगभग प्रतिदिन आ रहे हैं।
माना जा रहा है कि बाइडेन जो आर्थिक पैकैज देश के लोगों को देंगे वह अमेरिका के लिए कड़वी दवा है, जिसे पीना उसके हित में है। महामारी की वजह से अमेरिका में गरीब जनता के पास पैसा नहीं है, मध्यम वर्ग परेशान है और बेरोजगारी अपने सर्वोच्च स्तर पर है। इस आर्थिक पैकेज से ये समस्याएं दूर हो जाएंगी लेकिन अगर इसका उल्टा असर हुआ तो अमेरिका की आर्थिक चुनौतियां और बढ़ जाएंगी। आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार अमेरिका की नई सरकार को खर्च में बढ़ोतरी की कीमत चुकानी होगी, क्योंकि राष्ट्रीय कर्ज में बढ़ोतरी कर खर्च को फाइनेंस किया जाएगा। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश अमेरिका का राष्ट्रीय कर्ज अभी 27 ट्रिलियिन डॉलर है जबकि इस साल उसकी जीडीपी ही 21.44 ट्रिलियन डॉलर की थी।