एडिनबर्ग । जलवायु परिवर्तन का हमारी जिंदगी के हर हिस्से पर असर होगा, इतना ही नहीं जिन इमारतों में हम रहते, काम करते हैं, उन पर भी इसका असर होगा। अमेरिका में ज्यादातर लोग अपना करीब 90 प्रतिशत वक्त चारदीवारी के भीतर रहकर ही बिताते हैं। जलवायु परिवर्तन मौलिक रूप से उन पर्यावरणीय परिस्थितियों को बदल रहा है,जिसके अनुसार इन इमारतों का निर्माण हुआ था। वास्तुकार और इंजीनियर इमारतें और अन्य ढांचे जैसे कि पुलों को स्थानीय जलवायु के मानकों के अनुसार बनाते हैं। इन्हें उन सामान का इस्तेमाल कर और डिजाइन के उन मापदंडों का पालन करते हुए बनाते हैं, जो तापमान, बारिश, हिमपात और हवा चलने के साथ खड़े रह सकें। साथ ही किसी भी भूवैज्ञानिक घटना जैसे कि भूकंप, मृदा अपरदन और भूजल स्तर का सामना कर सकें।
जब इसमें से कोई भी मापदंड बढ़ता है,तब इमारत के क्षतिग्रस्त होने का खतरा बढ़ता है। अगर तेज हवाएं चलती है,तब कुछ छतें टूट सकती है। अगर कई दिनों की भारी बारिश के बाद जलस्तर बढ़ता है,तब भूतल जलमग्न हो सकता है। इन घटनाओं के बाद मरम्मत करवा सकते है, ऐसा फिर से होने के खतरे को कम करने के लिए अतिरिक्त कदम उठाए जा सकते हैं। लेकिन जलवायु परिवर्तन से ऐसी स्थितियां पैदा होंगी जिससे ये मानदंड बहुत ज्यादा बढ़ सकते हैं। कुछ परिवर्तन जैसे कि वायु का औसत तापमान और आर्द्रता अधिक होना स्थायी हो जाएंगे। जलवायु परिवर्तन के कारण मकान अधिक गर्म होगा, जिससे इसमें रहने वाले निवासियों की जिंदगी को और अधिक खतरा होगा जो उत्तर अमेरिका में हाल ही में बढ़ी गर्मी के दौरान देखा गया। बाढ़ पहले से ज्यादा आएगी और ज्यादा बड़ा इलाका जलमग्न होगा। जलवायु परिवर्तन समिति ने हाल में रिपोर्ट में ब्रिटेन में इन दोनों खतरों से निपटने में नाकामी को उजागर किया है। कुछ हद तक ये असर स्थानीय रूप से होगा और इन पर आसान उपायों से नियंत्रण लगाया जा सकता है। उदाहरण के लिए खिड़कियों पर शेड लगाकर, ऊष्मा रोधन के उपाय करके और मकान को पर्याप्त रूप से हवादार बनाकर अत्यधिक गर्म होने से रोका जा सकता है।
अधिक तेज हवा चलने और बारिश होने से मकान की बाहरी परत के तेजी से खराब होने पर ज्यादा लीक होगी। तापमान बढ़ने से उन क्षेत्रों का विस्तार होगा जहां कुछ कीड़े रह सकते हैं। इसमें लकड़ी खाने वाले दीमक भी शामिल है जिससे मकान को काफी नुकसान पहुंच सकता है या मलेरिया फैलाने वाले मच्छर हो सकते हैं। तापमान के अत्यधिक गर्म होने से मकान बनाने में इस्तेमाल सामग्री फैलती है, खासतौर से धातु। चीन के शेनझेन में गगनचुंबी इमारत के हिलने के लिए उच्च तापमान को आंशिक रूप से जिम्मेदार ठहराया गया जिसके बाद उस इमारत को खाली कराना पड़ा। इस इमारत में इस्तेमाल स्टील का फ्रेम गर्मी में खिंच गया था। अत्यधिक तापमान बढ़ने से निर्माण संबंधी सामग्री पिघल भी सकती है। जब किसी इमारत के नीचे की जमीन में खिंचाव होता है,तब उसमें दरार आ जाती है या उसके ढहने की भी आशंका होती है। मिट्टी की नींव पर बनी इमारतें खासतौर से संवेदनशील होती है क्योंकि पानी सोखने के बाद मिट्टी फूल जाती है, फिर सख्त होती और सूखने पर सिकुड़ जाती है। बारिश की प्रवृत्ति में बदलाव से यह समस्या बढ़ेगी।