केपटाउन । धरती के सबसे विशालकाय जीवों में से एक अफ्रीकी हाथियों के ऊपर विलुप्त होने का खतरा मंडराने लगा है। बताया जाता है कि अवैध शिकार और खत्म होते जंगल के कारण इन हाथियों की संख्या में भारी कमी देखी गई है। यही कारण है कि धरती से विलुप्त होने के कगार पर पहुंचे जीवों की जानकारी देने वाली इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) ने जो नई रेड लिस्ट जारी की है, उसमें अफ्रीकी हाथी भी शामिल हैं। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की रेड लिस्ट में बताया गया है कि अफ्रीकी हाथियों की दो प्रजातियां गंभीर रूप से लुप्तप्राय या लुप्तप्राय की श्रेणी में शामिल हैं। आईयूसीएन के महानिदेशक ब्रूनो ओबेरले ने कहा कि हमें तत्काल अवैध शिकार पर रोक लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि जंगल और सवाना के दोनों हाथियों के लिए आवास का संरक्षण किया जाए।
ब्रूनो ओबेरले ने कुछ अफ्रीकी देशों के काम की तारीफ भी की, जिन्होंने हाथियों के संरक्षण में अच्छा काम किया है। स्विट्जरलैंड की इस संस्था ने कहा कि सवाना के हाथी लुप्तप्राय श्रेणी में शामिल हैं, जबकि अफ्रीका के जंगली हाथी गंभीर रूप से लुप्तप्राय की सूची में हैं। ऐसे जानवरों के निकट भविष्य में विलुप्त होने का खतरा ज्यादा होता है। पहले इन दोनों प्रजातियों के हाथियों को एक ही माना जाता था, लेकिन नए अनुवांशिकी प्रमाणों के बाद पहली बार दोनों प्रजातियों को अलग-अलग वर्गीकृत किया गया है।
आईयूसीएन ने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि अफ्रीका के सवाना के हाथियों की आबादी पिछले 50 साल में कम से कम 60 फीसदी तक कम हुई है, जबकि मध्य अफ्रीका में पाए जाने वाले जंगली हाथियों की तादाद पिछले 31 साल में 86 फीसदी तक कम हुई है। अब धरती पर केवल 415,000 अफ्रीकी हाथी ही रह गए हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि साल 2008 के बाद से शिकार में तेजी आने से हाथियों की संख्या सबसे ज्यादा कम हुई है। अफ्रीकी हाथियों की संख्या में इतनी बड़ी गिरावट के बाद भी गेबोन और कांगो जैसे देश हाथियों के संरक्षण के लिए अच्छा प्रयास कर रहे हैं। इन देशों में हाथियों को सुरक्षित रखने के लिए कई तरह के सरकारी अभियान भी चलाए जा रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर इन हाथियों के संरक्षण के लिए जल्दी ही प्रयास शुरू नहीं किए तो एक दिन ऐसा आएगा जब इनकी पूरी प्रजाति ही खत्म हो जाएगी।